फरीदाबाद | दशहरा पर्व पर रावण के पुतले को जलाकर बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है. वहीं, इन पुतलों के तैयार करने की बात करें तो फरीदाबाद के सेक्टर- 12 निवासी 55 वर्षीय रमेश पिछले 20 सालों से रावण के पुतले बनाने का काम कर रहे हैं. उनकी कारीगरी दिल्ली- NCR में जबरदस्त लोकप्रिय है और प्रत्येक साल दशहरे के मौके पर उनके यहां रावण का पुतला खरीदने वालों की भारी भीड़ लगी रहती है.
मेहनत और कारीगरी की सराहना
मूलरूप से राजस्थान निवासी रमेश दशहरे के सीजन पर रावण के पुतले बनाने और बेचने का काम करते हैं. पिछले 10 साल से वो इसी कार्य में लगे हुए हैं. वो अक्सर 2 फीट से 10 फीट तक लंबे पुतले तैयार करते हैं. हालांकि, लोगों की डिमांड पर 20 फीट तक बड़ा पुतला भी तैयार किया जाता है.
रमेश ने बताया कि रावण के छोटे साइज के पुतलों की डिमांड ज्यादा रहती है क्योंकि बड़ा पुतला लेकर जाना मुश्किल होता है. हमारे पास दिल्ली- एनसीआर के शहरों और आगरा व मथुरा से भी लोग रावण के पुतले खरीदने पहुंचते हैं. पुतले पर घड़ी गई कला दशहरा पर्व पर विशेष रूप से आकर्षण का केंद्र होती है और उनकी मेहनत व कारीगरी की प्रशंसा होती है. उन्होंने बताया कि दशहरे पर्व पर पुतले बनाने का काम चलता है, जबकि बाकी दिनों में टेडी बियर और झूमर बेचने का काम भी करते हैं.
पुतलों की कीमत
रमेश ने बताया कि रावण के पुतले की कीमत उसकी ऊंचाई पर निर्भर करती है. 2 फीट के एक पुतले की कीमत लगभग 500 रूपए है जबकि 5 फीट का रावण 1500 रूपए में बिकता है. उन्होंने बताया कि लोग पुतले बनाने में इस्तेमाल की गई उनकी कारीगरी की सराहना करते हैं. इसके चलते हर साल उनकी बिक्री में इजाफा होता जा रहा है.
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