कैथल | इजरायल और ईरान के बीच जारी जंग का असर अब हिंदुस्तान के किसानों पर भी पड़ने लगा है. धान की खरीद पर युद्ध का सीधा असर देखने को मिल रहा है. ईरान को निर्यात होने वाला धान अब मंडियों में सड़ रहा है. मिल मालिक युद्ध के डर से धान खरीदने नहीं आ रहे हैं. इससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है.
किसानों को आर्थिक नुकसान
मिल मालिकों द्वारा धान की खरीद नहीं करने के चलते किसानों को 1509 धान का भाव 1900 से 2400 रूपए प्रति क्विंटल तक मिल रहा है, जबकि पिछले साल 1509 धान की खरीद की शुरुआत 2700 रूपए प्रति क्विंटल से हुई थी.
आढ़ती इजरायल और ईरान के बीच जारी जंग से चिंतित दिखाई दे रहे हैं. यदि युद्ध समाप्त नहीं हुआ, तो मिल मलिक धान खरीदने मंडियों में नहीं आएंगे और वह अपने किसानों के धान को कहां रखें, यह उनके लिए चिंता का सबसे बड़ा विषय बन गया है.
वहीं, सरकार सिर्फ पीआर धान की खरीद कर रही है. इससे किसानों की आर्थिक स्थिति चरमरा सकती है क्योंकि नवंबर माह में किसानों को रबी फसलों की बिजाई के लिए खाद- बीज आदि की खरीद करनी होती है.
किसानों को होगी मुश्किल
वहीं, इस युद्ध के चलते डीजल का भाव बढ़ने के भी आसार हैं. रबी फसलों की बुआई में सिंचाई के लिए डीजल की ही आवश्यकता होती है. ऐसे में इजरायल- ईरान की लड़ाई से पड़ने वाले प्रभावों को लेकर किसानों में चिंता बनी हुई है. ऐसे में यदि उनके धान को कोई खरीदार नहीं मिला तो खासी मुश्किलें झेलनी पड़ सकती है.
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