सिरसा | हरियाणा के राजकीय कॉलेजों में कार्यरत प्रोफेसर से जुड़ी एक खबर सामने आ रही है. उच्चतर शिक्षा विभाग की तरफ से इस बारे में एक आर्डर जारी किया गया है. खबर के मुताबिक, सरकारी कॉलेज में काम कर रहे लेक्चरर अब रिटायरमेंट के बाद 2 साल से ज्यादा नौकरी (अनुबंध आधार पर) नहीं कर सकेंगे. रिटायरमेंट के बाद अनुबंध पर जॉब दिए जाने से दुरुपयोग से विवाद बढ़ गया था और मामला कोर्ट तक भी पहुंचा.
58 साल की उम्र में कॉलेज में रिटायर हो जाते हैं प्रोफेसर
ऐसे में अब नियम बनाया गया है कि 60 की उम्र तक ही रिटायर्ड प्राध्यापकों को कॉन्ट्रैक्ट पर कॉलेजों में नियुक्ति मिलेगी. राजकीय कॉलेजों में प्राध्यापक 58 साल की आयु में रिटायर हो जाते हैं. उच्चतर शिक्षा विभाग ने 23 मई 2023 को फैसला लिया जिसके अनुसार, 58 साल की आयु में सेवानिवृत्त होने वाले प्राध्यापकों को कॉलेजों में अनुबंध पर दोबारा नियुक्ति दी जा सकेगी.
फैसले के बाद विभाग ने प्रदेश के कई कॉलेजों में रिटायर्ड प्राध्यापकों को कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी दें दी. इसके बाद इस रूल का दुरुपयोग शुरू हो गया. 60 की उम्र पूरी होने पर भी कई प्राध्यापक नौकरी छोड़ने को तैयार नहीं हुए. फिर मामला कोर्ट तक जा पहुंचा. सूत्रों की मानें तो दावा किया जा रहा है कि उन्हें नौकरी से हटाया नहीं जा सकता. इस पर उच्चतर शिक्षा विभाग ने विचार किया और अधिकारियों ने नया रूल पेश कर दिया.
विद्यार्थियों को हो सकती है परेशानी
विभाग के नए निर्णय को तत्काल पूरे प्रदेश के कॉलेजों में लागू किया जाएगा. जिन कॉलेजों में ऐसे प्राध्यापक हैं, जो 58 साल की आयु में रिटायर होने के बाद फिर से अनुबंध आधार पर पढ़ा रहे हैं और वे 60 साल की आयु सीमा पूरी कर चुके हैं, उन्हें अब रिलीव किया जाएगा. मिली जानकारी के अनुसार पूरे हरियाणा के कॉलेजो में ऐसे प्राध्यापकों की संख्या लगभग 80 हो सकती है. दूसरी तरफ पद खाली होने पर स्टूडेंट्स को थोड़ी परेशानी हो सकती है. ऐसा इसलिए क्योंकि कॉलेजों में पहले से ही कई प्राध्यापकों की पोस्ट रिक्त है.
सभी प्रिंसिपल को जारी हुआ लेटर
राजकीय नेशनल कॉलेज सिरसा के प्रिंसिपल डॉक्टर संदीप गोयल ने बताया कि हरियाणा विधानसभा चुनाव खत्म होते ही उच्चतर शिक्षा विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी की ओर से राज्य के सभी राजकीय कॉलेजों के प्रिंसिपल को पत्र जारी कर दिया गया है. इस लेटर में बताया गया है कि 58 साल की आयु में रिटायर होने वाले जिन प्राध्यापकों को अनुबंध पर दोबारा नौकरी दी थी, वे 60 साल यानी सिर्फ दो साल तक ही पढ़ा सकेंगे. इसके बाद वे कॉलेज में नहीं पढ़ा पाएंगे.
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