चंडीगढ़ | हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी (Congress Party) को करारी शिकस्त मिलने के बाद अंदरुनी कलह रुकने का नाम ही नहीं ले रही है. सब एक- दूसरे को हार का जिम्मेदार मान रहे हैं. तमाम तरह की बयान बाजियां भी सामने आ रही है. हालांकि, किसान इसका जिम्मेदार शैलजा- हुड्डा और सुरजेवाला को ठहरा रहे हैं. अब हार के लिए कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व को भी कटघरे में शामिल किया जा रहा है. ऐसे सवाल उठाए जा रहे हैं कि शैलजा- हुड्डा और सुरजेवाला की तिकड़ी को कंट्रोल करने में कांग्रेसी हाईकमान फेल साबित हुई.
कांग्रेस हाईकमान पर उठे सवाल
जहाँ एक और किसान संगठनों से जुड़े लोगों ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी शैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ- साथ हाईकमान पर भी हार का ठीकरा फोड़ा है. वहीं, दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी भी कांग्रेस पर लगातार जवाबी हमले कर रही है. बीजेपी ने कहा कि किसान नेताओं का कहना है कि बीते दिनों में हुए किसान आंदोलन कांग्रेस को फायदा पहुंचाने के लिए शुरू किए गए थे. किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी के बयान से तो यही महसूस हो रहा है. चढूनी का मानना है कि कांग्रेस की बाग़ डोर प्रियंका गांधी के हाथ रहेगी तो कांग्रेस बच जाएगी, नहीं तो हरियाणा में उनकी कभी वापसी नहीं होगी.
कांग्रेस हाईकमान कमजोर- चढूनी
उन्होंने कहा कि प्रदेश में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की महत्वाकांक्षाओं के चलते भी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा. कांग्रेस नेताओं को सलाह देते हुए उन्होंने कहा कि हाईकमान कमजोर है. अब कमान को प्रियंका गांधी के हाथों में दे देना चाहिए. ऐसा करने से ही पार्टी बच सकती है वरना हरियाणा में कांग्रेस की कभी वापसी नहीं होगी. हुड्डा शैलजा और सुरजेवाला के संघर्षों को कभी भुलाया नहीं जा सकता.
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