चंडीगढ़ | हरियाणा विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी (Haryana Congress) को हार मिली. इसके बाद से ही EVM पर भी सवाल उठाए जाने शुरू हो गए. पार्टी द्वारा चुनाव आयोग को 20 मतगणना केंद्रों पर EVM को लेकर सवालिया निशान उठाए थे, लेकिन इन तमाम दावों और प्रत्यारोपों के बीच खुद कांग्रेस के नेताओं ने चुनाव में मिली हार का कारणों का खुलासा किया है.
उन्होंने चुनाव में हार के लिए EVM में गड़बड़ी को जिम्मेदार ठहराने की बजाय पार्टी के अंदर चल रही गुटबाजी और भीतरघात को वजह बताया है.
पार्टी ने किया था कमेटी का गठन
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के पदाधिकारियों को चुनाव हारने वाले 53 प्रत्याशियों ने इस बात की जानकारी दी. हार के बाद से कांग्रेस ने EVM पर ठीकरा फोडा, लेकिन इन सबको दरकिनार करते हुए चुनाव हारने वाले ज्यादातर प्रत्याशियों ने कहा कि पार्टी के नेताओं के आपस ही गुटबाजी और भीतरघात की वजह से ही उन्हें हार का सामना करना पड़ा.
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी द्वारा हरियाणा विस में हारने के कारणों का पता लगाने के लिए फैक्ट फाइंडिंग कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी की ये जिम्मेदारी लगाई गई थी कि यह तमाम नेताओं से बातचीत के बाद फीडबैक को हाई कमान को सौंपेंगी.
नेताओं ने गिनवाए ये कारण
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के सामने इनमें से ज्यादातर प्रत्याशियों का कहना है कि अगर सभी मिलकर पार्टी के हित के लिए सोचते, तो हमें हार का सामना नहीं करना पड़ता. कुछ ने कहा कि चुनाव में वरिष्ठ नेताओं के बीच तालमेल की कमी नजर आई. बहुत से प्रत्याशियों ने कुमारी शैलजा की नाराजगी को भी चुनावों में मिली हार का एक कारण बताया.
नेताओं ने कमेटी को दी रिपोर्ट में कहा कि बागी नेताओं को पार्टी द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया. वह निर्दलीय मैदान में उतरे और उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशियों की वोट कटवाने का काम किया. अगर कुमारी शैलजा को उकलाना से चुनाव लड़वाया जाता तो प्रदेश में 10 से 15 सीटों का फायदा हो सकता था. जाट वोट के ध्रुवीकरण के कारण कांग्रेस को नुकसान हुआ. कुछ एक उम्मीदवार ऐसे थे जिन्होंने कहा कि ईवीएम की बैटरी आखिरी तक 99% पर ही अटकी रही. इससे गड़बड़ी की आशंका पैदा हुई.
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