पानीपत | मानसून सीजन के जाने के बाद जैसे ही सर्दियों के मौसम का आगमन होता है, वैसे ही हर साल पर्यावरण प्रदूषण की समस्या विकराल रूप धारण करना शुरू कर देती है. दिल्ली- NCR, UP, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में यह समस्या और भी ज्यादा विकट रूप धारण कर लेती है. वर्तमान में भी यही समस्या सामने आ रही है. हवा में जहरीले तत्वों की मात्रा बढ़ने से सांस लेने में तकलीफ और त्वचा संबंधी समस्याएं भी सामने आना शुरू हो चुकी है.
पंजाब और हरियाणा में तो प्रदूषण के चलते हालात काफी बिगड़ चुके हैं. हरियाणा के जीटी रोड से लगते जिलों में प्रदूषण खतरनाक लेवल तक पहुंच चुका है.
पानीपत का AQI पहुंचा 500
सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार मंगलवार तक पराली जलाने के मामलों में कमी जरूर हुई है. इसके बावजूद, प्रदेश का पानीपत जिला गैस चैंबर बन चुका है. यहाँ AQI 500 को पार कर चुका है. इसे अति गंभीर श्रेणी में माना जाता है. वहीं 17 जिले ऐसे हैं, जहां AQI 300 से ऊपर चल रहा है. इसे खतरनाक श्रेणी में माना जाता है. कुरुक्षेत्र जिले में भी AQI 400 से पर दर्ज किया गया. प्रदेश के कई जिलों समेत दिल्ली- एनसीआर में ग्रेप- 2 की पाबंदी लागू की जा चुकी है.
विशेषज्ञों का मानना है कि जिस प्रकार प्रदूषण का स्तर खराब होता जा रहा है, उसे देखते हुए जल्दी ही ग्रेप- 3 की पाबंदियां भी लागू की जा सकती हैं.
अधिकारियों और कर्मचारियों पर गिरी गाज
हरियाणा में पराली जलाने वाले डेढ़ सौ किसानों के खिलाफ FIR दर्ज कीलते सस्पेंड क जा चुकी है. 29 लोगों को गिरफ्तार और 380 को रेड लिस्ट भी कर दिया गया है. प्रशासन की सख्ती से इतना असर जरूर हुआ है कि साल 2021 के बाद सबसे कम मामले दर्ज की गए हैं. 1 दिन पहले ही सरकार द्वारा कृषि विभाग के 24 अधिकारियों और कर्मचारियों को पराली जलाने वालों पर कड़ी कार्रवाई न करने के चर दिया गया.
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