भारत में आ गई पानी से चलने वाली ट्रेन, डीजल- बिजली की जरूरत खत्म; इस रूट पर होगा संचालन

जींद | वंदे भारत और अमृत भारत ट्रेन के बाद भारतीय रेलवे (Indian Railways) एक और स्पेशल ट्रेन संचालित करने की तैयारियों में जुटा हुआ है. खास बात यह है कि यह ट्रेन डीजल और बिजली नहीं बल्कि पानी से संचालित होगी. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पहली ट्रेन का रूट भी फाइनल कर लिया गया है. रेलवे के अनुसार, प्रोटोटाइप ट्रेन को दिसंबर 2024 में संचालित करने की योजना है.

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इस रूट पर दौड़ेगी हाईड्रोजन ट्रेन

भारतीय रेलवे द्वारा संचालित होने जा रही पहली हाईड्रोजन ट्रेन हरियाणा के जींद से पानीपत के बीच 90 किलोमीटर की दूरी तय करेगी. एक फेरे के लिए इंजन में 360 किलोग्राम हाईड्रोजन भरी जाएगी. रेलवे मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि भारतीय रेलवे 2030 तक जीरो कार्बन की दिशा में काम कर रहा है और ईंधन के रूप में अब हाइड्रोजन का इस्‍तेमाल किया जाएगा.

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सफल रहा टेस्ट

प्रोजेक्‍ट हाइड्रोजन फ्यूल सेल और इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर का काम पायलट प्रोजेक्‍ट के रूप में किया जा रहा है. इसका टेस्‍ट सफल रहा है. सेल के डिजाइन और हाइड्रोजन प्‍लांट अप्रूव हो गए हैं. हाइड्रोजन सुरक्षा को लेकर ग्‍लोबल एजेंसियों ने अनुमति प्रदान कर दे दी है. भारतीय रेलवे ने मौजूदा डीजल इलेक्ट्रिक मल्‍टीपल यूनिट (डीईएमयू) को हाइड्रोजन फ्यूल के लिए रेट्रो फिटमेंट का काम आवार्ड कर दिया है. प्रोटोटाइप ट्रेन आईसीएफ चेन्‍नई में बनाने की योजना है.

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35 ट्रेनें संचालित करने की योजना

रेलवे मंत्रालय के एक्‍जीक्‍यूटिव डायरेक्‍टर इनफार्मेशन एंड पब्लिसिटी दिलीप कुमार ने बताया कि रेल मंत्रालय ने 35 हाइड्रोजन ट्रेन संचालित करने की योजना बनाई है, जिसमें प्रति ट्रेन की लागत 80 करोड़ रुपए और जमीन इंफ्रास्‍ट्रक्‍चर की 70 करोड़ हेरीटेज और हिल रूट के लिए अनुमानित लागत है.

हाईड्रोजन गैस प्लांट का काम शुरू

जींद रेलवे जंक्शन पर GRP थाना के पास 2 हजार मीटर क्षेत्रफल में 118 करोड़ रूपए की लागत से हाईड्रोजन गैस प्लांट का निर्माण कार्य साल, 2022 में शुरू हुआ था. प्लांट में 3,000 किलोग्राम हाइड्रोजन भंडारण का टैंक बनाया जाएगा और पहले चरण में दो ही ट्रेन चलाई जा सकेंगी. वहीं, अतिरिक्त हाइड्रोजन को टैंकरों की मदद से दूसरी जगह ट्रांसपोर्ट किया जा सकेगा.

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इंजन छोड़ेगा भाप

हाईड्रोजन गैस से संचालित होने वाली ट्रेन का इंजन धुएं की बजाय भाप और पानी छोड़ेगा. ट्रेन पारम्परिक डीजल इंजन की तुलना में 60% तक कम शोर करेगी. इसकी रफ्तार और सवारी ढोने की क्षमता डीजल इंजन के बराबर रहेगी.

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