नई दिल्ली | देशभर में दालों का उत्पादन बढ़ाने की दिशा में निरंतर प्रयास हो रहे हैं. इसी कड़ी में केंद्र की मोदी सरकार ने तूर और मसूर दाल का उत्पादन बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर नए प्रयास किए हैं. इसके लिए किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग की शुरुआत की गई है.
दालों के उत्पादन को बढ़ावा देने का मकसद
नेशनल कॉपरेटिव कंज्यूमर फेडरेशन ऑफ इंडिया (NCCF) ने कई राज्यों के किसानों के साथ कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग के लिए करार किया है. इसके पीछे सीधा मकसद दालों के उत्पादन को बढ़ावा देना है.
इन राज्यों में शुरूआत
NCCF ने कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग का करार गुजरात, तमिलनाडु, बिहार और झारखंड के किसानों के साथ किया है. अभी तक 1500 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर करार हो चुका है.
इस भाव पर खरीदेगी सरकार
कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग के तहत बाजार भाव और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में से जिसका भी भाव ज्यादा हुआ, सरकार उसी कीमत पर खरीदारी करेगी. यदि करार सफल रहता है तो सरकार इसका दायरा भी बढ़ाएगी यानि कई अन्य राज्यों में भी कॉन्ट्रैक्ट फॉर्मिंग के तहत दाल की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा.
बता दें कि केंद्र सरकार वर्तमान में कई देशों से दालों का आयात करती है. कनाडा, तंजानिया, म्यांमार और मालवी जैसे देशों से दालों का आयात किया जा रहा है. इस साल यानि 2024 में 47 लाख टन दाल का आयात हुआ हैं.
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