ज्योतिष, Dev Uthani Ekadashi | देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु 4 महीने की निद्रा के बाद जागते हैं. आज की इस खबर में हम आपको बताएंगे कि अबकी बार देवशयनी एकादशी कब है और इसका व्रत क्यों रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना करने का विशेष महत्व बताया गया है. इसे देवउठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है.
12 नवंबर को है देवउठनी एकादशी
कार्तिक महीने की देवउठनी एकादशी को सबसे उत्तम एकादशी माना जाता है. कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु 4 महीनो के निद्राकाल के बाद जागृत होते हैं. इसी दिन से ही सनातन धर्म में फिर से मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं, जो पिछले 4 महीना से बंद थे. शादी- विवाह जैसे शुभ कार्य देवशयनी एकादशी के बाद ही शुरू होते हैं, जो पिछले 4- 5 महीना से बंद थे. अबकी बार देवशयनी एकादशी को लेकर भी लोगों के बीच काफी कंफ्यूजन बना हुआ है.
देवउठनी एकादशी का आरंभ 11 नवंबर को शाम के समय 6:47 मिनट पर हो रहा है, जबकि इसका समापन अगले दिन 4:04 मिनट पर होगा. सनातन धर्म में हर एक व्रत उदया तिथि के अनुसार ही मनाए जाते हैं. इसलिए देवशयनी एकादशी का व्रत 12 नवंबर को रखा जाएगा.
इस प्रकार करें पूजा
- इसके लिए सबसे पहले आपको सूर्य उदय से पहले उठना है और उठकर स्नान करना है.
- अब अपने घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें
- इसके लिए सबसे पहले आपको अपने मंदिर में घी का दीपक जलाकर व्रत का परण लेना है, फिर भगवान को पीले रंग के फल- फूल, वस्त्र और मिठाई अर्पित करें.
- हो सके तो इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए विष्णु पुराण का पाठ भी करें.
- एकादशी का व्रत निर्जला रखा जाता है, शाम के समय आपको भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की आरती करनी है और भोग लगाना है.
- इस दौरान अगर हो सके तो जरूरतमंद और ब्राह्मण को भोजन भी अवश्य ही करवाए.
डिस्केलमर: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं विभिन्न माध्यमों/ ज्योतिषियों/ पंचांग/ प्रवचनों/ मान्यताओं/ धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. Haryana E Khabar इनकी पुष्टि नहीं करता है.
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