खेतों में अभ्यास कर भारतीय हॉकी टीम की कप्तान बनी हरियाणा की बेटी, पढ़िए उनके संघर्ष की कहानी

सिरसा | खेल मैदान का जिक्र करें तो हरियाणा के खिलाड़ियों का नाम सबसे ऊपर लिया जाता है. इसी कड़ी में भारतीय हॉकी टीम की पूर्व कप्तान सविता पूनिया, अपने दमदार खेल की बदौलत दुनिया के पटल पर हिंदुस्तान का गौरव बढ़ा रही हैं. सविता आज किसी परिचय की मोहताज नहीं है. खेत को मैदान बनाकर हॉकी का अभ्यास करने वाली सविता पूनिया ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुलंदियों को छुआ है.

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बचपन में ही प्रतिभा की पहचान

प्राईमरी शिक्षा के दौरान ही खेल शिक्षक दीपचंद कंबोज ने सविता की प्रतिभा को पहचान लिया था और हॉकी में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया. पिता महेंद्र पूनिया ने भी बेटी के साथ कदमताल मिलाते हुए खेत को ही हॉकी का मैदान बना दिया. परिजनों और शिक्षकों की मेहनत का नतीजा है कि आज सविता पूनिया हिंदुस्तान की हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व कर रही है.

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अर्जुन और भीम अवार्ड से सम्मानित

सविता पूनिया की कप्तानी में भारतीय हॉकी टीम ने साल 2023 में आयोजित एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता था. उनकी कप्तानी में ही टीम ने 2023 महिला एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी के खिताब पर कब्जा किया. उनकी कप्तानी में भारतीय हॉकी टीम विश्व में अपनी सर्वेश्रेष्ठ 6वीं रैंकिंग हासिल की थी. सिरसा जिले के गांव जोधका की रहने वाली सविता पूनिया अर्जुन और भीम अवार्ड से सम्मानित हो चुकी है.

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सुविधाओं के अभाव के बावजूद किया संघर्ष

पिता महेंद्र पूनिया ने बताया कि उस समय इतनी ज्यादा सुविधाएं नहीं थी, लेकिन बेटी की प्रतिभा को देखकर ठान लिया था कि उसके खेल को आगे बढ़ाएंगे. इस दौरान जब सविता ने खेलना शुरू किया तब उसी साल सविता ने जूनियर वर्ग में नेशनल लेवल की हॉकी प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. उन्होंने बताया कि बेटी सविता के खेल को निखारने में उनके कोच सुंदर सिंह खरब की महत्वपूर्ण भूमिका रही है.

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