चंडीगढ़ | पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की तरफ से एक आदेश पारित किया गया है. अपने इस आदेश में हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकार को उन सभी योग्य कर्मचारियों को अनुभाग अधिकारी का वेतनमान जारी करने निर्देशित किया है, जो अस्थायी व्यवस्था के रूप में अनुभाग अधिकारी के रूप में काम कर रहे थे, मगर उन्हें सिर्फ क्लकों का वेतन और भत्ते दिए गए थे.
पीड़ित कर्मचारियों को अपने कानूनी अधिकारों की मांग से नहीं रोक सकते
हाई कोर्ट ने आर्डर जारी करते हुए कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि याचिकाकर्ताओं ने बिना किसी ब्रेक के अपने खुद के वेतनमान में 7 से 15 वर्षों की लंबी अवधि के लिए अनुभाग अधिकारी के पद पर कर्तव्यों को निभाया है. कोर्ट ने कहा है कि नियोक्ता हमेशा प्रभुत्व की स्थिति में रहता है और सिर्फ इसलिए कि सरकार ने अपने आदेश में इसके अनुकूल कुछ शर्तें शामिल कर ली हैं. इससे पीड़ित कर्मचारी को अपने कानूनी अधिकारों की मांग करने से नहीं रोका जा सकता.
2019 की आर्डर को रद्द करने के लिए मांगे गए थे निर्देश
कोर्ट का कहना है कि उच्च पद का काम और जिम्मेदारी लेने के बाद आदर्श नियोक्ता को उनके पद के लिए उच्च वेतन के अनुरोध और मांग को शालीनतापूर्वक स्वीकार करना चाहिए था. जस्टिस नमित कुमार ने राज्य के विभिन्न विभागों में अनुभाग अधिकारी के रूप में कार्य कर रहें हरियाणा सरकार के कई कर्मचारियों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किए हैं. याचिकाकर्ताओं की तरफ से 28 नवंबर 2019 के आदेश को रद करने के निर्देश मांगे थे, जिसके तहत अनुभाग अधिकारी के उच्च पद के वेतनमान सुविधा के उनके दावे को खारिज कर दिया गया था.
याचिकाकर्ताओं ने 1982 से 2005 के बीच विभिन्न तारीखों पर हरियाणा राज्य के विभिन्न विभागों में क्लर्क के रूप में कार्यभार ग्रहण किया. हरियाणा सरकार ने राज्य में एसएएस अधिकारियों की कमी को पूरा करने के लिए अनुभाग अधिकारी के पद के नियमों में थोड़ी ढील देकर एसएएस कैडर में एसएएस अनुभाग अधिकारियों के खाली पदों को भरने का फैसला किया.
याचिकाकर्ताओं को लाभ जारी करने का निर्देश
याचिकाकर्ताओं के दावे का विरोध इस आधार पर किया गया है कि उन्हें अस्थायी व्यवस्था के रूप में सेक्शन ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया था. चूंकि, उन्होंने एसएएस भाग-॥ परीक्षा पास नहीं की है, जो एक अनिवार्य शर्त है. इसलिए वे अनुभाग अधिकारी के पद के वेतनमान के पात्र नहीं है. सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने स्वीकारा कि राज्य ने याचिकाकर्ताओं की सेवाओं का इस्तेमाल करने का एक सचेत निर्णय लिया था, क्योंकि उन्होंने एसएएस परीक्षा पास की है. कोर्ट ने राज्य को तीन महीने के अंदर याचिकाकर्ताओं को लाभ जारी करने का निर्देश दिया है. इस निर्णय से राज्य के सैकड़ों क्लर्कों को लाभ होगा जो अनुभाग अधिकारी के रूप में कार्यरत है.
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