नई दिल्ली | देश के प्रमुख बाजारों में शुक्रवार को मूंगफली तेल- तिलहन, आयात होने वाले सोयाबीन डीगम तेल और बिनौला तेल के भाव में गिरावट का दौर जारी रहा. इस गिरावट के साथ ही दाम करीब 8 साल पहले के भाव के आसपास मंडराने लगे हैं. बाजार से जुड़े लोगों का कहना है कि कपास फसल के लिए देश की एक अग्रणी संस्था के पिछले दिनों न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर बिनौला सीड (तिलहन) बेचे जाने के बीच बाजार धारणा प्रभावित होने से कीमतों पर असर दिखाई दे रहा है.
कम आवक और सर्द मौसम में थोड़ी मांग के चलते सरसों तेल- तिलहन में सुधार हुआ है. हाजिर बाजार के कमजोर दाम पर बिक्री से बचने के लिए किसानों द्वारा सरकारी खरीद के इंतजार में अपना माल रोक- रोक कर बेचने के कारण सोयाबीन तिलहन के दाम में सुधार देखने को मिला है.
8 साल पहले जैसी गिरावट
सोयाबीन दिल्ली एवं इंदौर तेल तथा ऊंचे दाम पर मांग कमजोर रहने के बीच सीपीओ और पामोलीन तेल के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे. सूत्रों का कहना है कि भारतीय कपास निगम (सीसीआई) द्वारा MSP पर खरीद के बाद की लागत से कम दाम पर बिनौला सीड (तिलहन) की बिकवाली करने से तेल- तिलहन बाजार की आम कारोबारी धारणा प्रभावित हुई है.
इससे मूंगफली तेल- तिलहन के भाव करीब 8 साल पहले के स्तर (लगभग 5,800- 6,000 रुपये क्विंटल) के आसपास मंडराने लगे हैं. सूत्रों का कहना है कि मूंगफली तेल- तिलहन को निर्यात की सामग्री माना जाता है तथा मूंगफली और बिनौला तेल की अधिकांश खपत गुजरात में होती है.
अभी कुछ दिनों पहले एकमात्र इसी तेल का दाम आयातित एवं देशी खाद्य तेलों में सबसे अधिक हुआ करता था, लेकिन सीसीआई द्वारा कपास से निकलने वाले बिनौला तिलहन की बिक्री, कपास के खरीद भाव के अनुरूप निर्धारित नहीं करने और बाजार भाव से काफी कम दाम पर बेचने से कुल कारोबारी धारणा प्रभावित हुई है. इस कारण मूंगफली तेल का भाव मौजूदा समय में पाम, पामोलीन जैसे खाद्य तेल से भी नीचे चला गया है.
परेशानी में मूंगफली किसान
बिनौला खल के भाव में गिरावट से मूंगफली खल की मांग कमजोर हुई है और इसके लिवाल नहीं के बराबर हैं. इस वजह से मूंगफली तेल-तिलहन में गिरावट आने के साथ- साथ मूंगफली किसान भी परेशान हैं. बिनौला खल में गिरावट के बीच मूंगफली खल, सरसों खल की मांग भी कमजोर हुई है लेकिन इसका असर दूध की कीमत पर नहीं पड़ा है, जिसके भाव में तेजी बनी हुई है. आम तौर पर माना जाता है कि खल के दाम में गिरावट से पशु आहार सस्ते होने की वजह से दूध की कीमत में भी गिरावट दर्ज होती है, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.
तेल-तिलहनों के भाव
- सरसों तिलहन – 6,475-6,525 रुपये प्रति क्विंटल.
- मूंगफली – 5,975-6,300 रुपये प्रति क्विंटल.
- मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 14,450 रुपये प्रति क्विंटल.
- मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,190-2,490 रुपये प्रति टिन.
- सरसों तेल दादरी – 13,500 रुपये प्रति क्विंटल.
- सरसों पक्की घानी – 2,255-2,355 रुपये प्रति टिन.
- सरसों कच्ची घानी – 2,255-2,380 रुपये प्रति टिन.
- तिल तेल मिल डिलिवरी – 18,900-21,000 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली – 13,350 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर – 13,200 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन तेल डीगम, कांडला – 9,400 रुपये प्रति क्विंटल.
- सीपीओ एक्स कांडला – 13,100 रुपये प्रति क्विंटल.
- बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा) – 12,100 रुपये प्रति क्विंटल.
- पामोलिन आरबीडी, दिल्ली – 14,300 रुपये प्रति क्विंटल.
- पामोलिन एक्स- कांडला – 13,250 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन दाना – 4,200-4,250 रुपये प्रति क्विंटल.
- सोयाबीन लूज – 3,900-4,010 रुपये प्रति क्विंटल.
- मक्का खल (सरिस्का) – 4,100 रुपये प्रति क्विंटल.