1700 रुपयों के लिये इंसानियत हुई शर्मसार, 4 साल के मासूम की गई जान

हिसार | जिले से बेहद दर्दनाक खबर निकल कर सामने आ रही है. खौलते तेल की कड़ाही में गिरे 4 साल का मासूम जिंदगी की लड़ाई में हार गया. मासूम ने मंगलवार को आखिरकार दम तोड़ दिया. सात दिनों तक घर पर तड़पते रहे मासूम मनप्रीत को मुश्किल से इलाज मिला था. लेकिन इस मौत के साथ ही गरीब माता-पिता की आंखों में जगी उम्मीद की किरण भी बुझ गई. मासूम मनप्रीत के इस दुनिया से इस कदर चले जाने की यह दर्दनाक घटना अपने साथ इस मतलबी समाज के लिए काफी सवाल भी छोड़ गई. यह घटना मौत के दरवाजे पर खड़ी बेचारगी और सरकारी व्यवस्था की नाकामयाबी व संवेदनहीनता को दर्शाती है.

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यह घटना इंसानियत को शर्मशार करने वाली है, जिसने केवल 1700 रुपये के लिए एक मासूम को जीवनदान देने से इनकार कर दिया. हालांकि एक समय ऐसा भी आया जब समाज की संवदेना जागृत हुई और एक परिवार ने मासूम को अस्पताल में भर्ती कराया लेकिन, अफसोस! तब तक बहुत देर हो चुकी थी. चिकित्सकों की ईमानदार कोशिशों के बावजूद भी बच्चे को बचाया न जा सका. काश! समय पर इलाज मिला होता तो मनप्रीत भी अपने माता पिता के साथ खुश होता.

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जाने पूरा मामला

31 अगस्त को कैमरी रोड स्थित महेश कॉलोनी में चौधरीवास गांव के रहने वाले सोनू का 4 साल का बेटा मनप्रीत खेलते-खेलते खौलते तेल की कड़ाही में गिर गया था. घटना के बाद आननफानन में पिता सोनू उसे लेकर हिसार के सिविल अस्पताल में पहुंचा, जहाँ से उसे अग्रोहा मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया. इसका कारण सिविल हॉस्पिटल में जले का इलाज न होना बताया गया. पिता सोनू जब मनप्रीत को लेकर अग्रोहा मेडिकल कॉलेज पहुंचा तो बताया गया कि अस्पताल में कोई भी ICU बेड खाली नहीं है इसलिए बच्चे को PGI रोहतक लेकर जाना होगा.

जैसे तैसे गुज़ारा करने वाले गरीब पिता सोनू ने रोहतक PGI के लिए एंबुलेंस मांगी लेकिन, उसे एम्बुलेंस के लिये इंकार कर दिया गया और निजी वाहन के लिए 1700 किराया मांगा गया. उस सोनू ने जिसके पास 1700 रुपए तो छोडि़ए 170 रुपये भी नहीं थे, बच्चे को एम्बुलेंस मे ले जाने की प्रार्थना की लेकिन, किसी ने उसकी एक न सुनी. बेबस सोनू बच्चे को लेकर वापस हिसार आ गया और घर पर ही देसी नुस्खे से उसका इलाज करने लगा लेकिन कोई फायदा ना हुआ. खेतों में बने एक टूटे से कमरे में रखी चारपाई पर 7 दिनों तक मनप्रीत दर्द से कराहता रहा तभी एक उम्मीद की किरण नज़र आई और एक सज्जनव्यक्ति मदद के लिए उसके पास पहुंच गए.

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सोशल मीडिया से मिली सहायता, माता-पिता को बंधी आस

मासूम की जिंदगी के लिये सोशल मीडिया पर मदद मांगी गई. सोशल मीडिया के माध्यम से मासूम के साथ घटी घटना की जानकारी मदद संस्था के संचालक संजीव भोजराज को मिली. वह सोनू के घर पहुंचे तो मनप्रीत की हालत देखकर सहम गए. उन्होंने एक फेसबुक वीडियो लाइव किया और बच्चे का इलाज करवाने की मदद मांगी. इस पर हिसार के एक पेट्रोल पंप के मालिक एवं लख्खीराम परिवार के सदस्य ने बच्चे के इलाज का पूरा खर्च उठाने की बात कही.

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करीब 3 दिन पहले बच्चे को संजीव भोजराज ने एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया जहां उसका इलाज शुरू हुआ. जब इलाज मिला तो आस बनी कि अब मनप्रीत ठीक हो जाएगा. उसके माता-पिता के चेहरे पर कृतज्ञता और संतोष के भाव स्पष्ट झलक रहे थे लेकिन, मंगलवार की दोपहर मासूम मनप्रीत की मौत की ऐसी बुरी खबर आई जिसने सबको झकझोर के रख दिया. अगर मनप्रीत को समय पर इलाज़ मिला होता तो शायद वह आज जीवित होता. अब मनप्रीत तो इस दुनिया से चला गया है लेकिन वह समाज के लिए कई सबक छोड़ के गया है.

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