रोहतक | ‘रुक जाना नहीं तू कहीं हार के, कांटों पे चलके मिलेंगे साए बहार के, ओ राही.. ओ राही…’ अमर गायक किशोर कुमार का यह गीत आपने जरुर सुना होगा. इस गीत से मिले संदेश को अपना जज्बा बनाया है हरियाणा के चरखी दादरी जिले के युवा प्रदीप श्याेराण ने. प्रदीप एक मल्टीनेशनल कंपनी में 10 लाख रुपये सालाना पैकेज की जॉब करते थे. अब उसे छोड़कर मिल्क पार्लर चला रहे हैं और पकाैड़े व जलेबी बेच रहे हैं.
प्रदीप ने जॉब छोड़ने के बाद स्टार्ट्सअप के रूप में बागड़ी मिल्क पार्लर शुरू किया. वह इसके माध्यम से देसी गाय का दूध उपलब्ध कराते थे. लोग इसे ऑर्गेनिक मिल्क पार्लर कहते थे. दस के साथ में वह तंदूरी चाय, जलेबी और देसी घी के पकौड़े भी उपलब्ध हैं. लॉकडाउन में यह काम बंद सा हो गया तो वह दादरी जिले में स्थित और अपने गांव पहुंच गए. गांव में तरबूज और खरबूजे की खेती की, उससे लाभ कमाते हुए कर्मचारियों का वेतन दिया. अब फिर से अपना मिल्क पार्लर और पकौड़े व जलेबी की दुकान खोल दी है.
मूल रूप से चरखी दादरी के गांव मांडी पिरानू निवासी 25 साल का प्रदीप श्योराण ने हिसार के गुरु जंबेश्वर विश्वविद्यालय से एमबीए करने के बाद कई कंपनियों में जॉब की. कंपनी में बतौर मर्केटिंग मैनेजर के पद तक पहुंच गए. लेकिन, अचानक उनको खुद का रोजगार अपनाने का आइडिया आया. दो साल पहले नौकरी छोड़कर रोहतक में बागड़ी मिल्क पार्लर शुरू किया, जिसमें गाय के दूध और उससे बने प्रोडक्ट बेचना शुरू कर दिया. चूंकि प्रोडक्ट हेल्थ से जुड़े थे, इसलिए कारोबार तेजी पकड़ने लगा.
धीरे- धीरे पार्लर में उत्पाद बढ़ाने लगे, लेकिन इसी बीच कोरोना महामारी आ गई, जिसमें कारोबार पूरी तरह से कम हो गया. मुश्किल की घड़ी प्रदीप ने हौसला नहीं खोया. गांव में चले गए और तरबूज और खरबूजे की खेती की, लेकिन पार्लर के कर्मचाारियों को नहीं जाने दिया. प्रदीप ने तरबूज की खेती के मुनाफे से उनका वेतन दिया. सरकार ने जैसे ही कोरोना महामारी में कारोबार में राहत दी, तुरंत उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया.
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