चंडीगढ़ | हरियाणा से फसलों से जुड़ी बड़ी खबर निकल कर सामने आ रही है. दरअसल, सोमवार को मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला और अन्य अधिकारियों ने राइस मिलर्स व आढ़तियों के साथ बैठक की. इस बैठक में विचार विमर्श करने के बाद सरकार ने फैसला लिया और राज्य में कपास एवं बारीक धान की फसल पर बाज़ार व ग्रामीण शुल्क 4 प्रतिशत से कम करके 1 प्रतिशत कर दिया. इस बात का निर्णय किसान ही करेंगें की वे फसल की कीमत आढ़तियों से लेंगे अथवा सरकार से ही भुगतान चाहते हैं.
आढ़तियों ने की व्यापार बढ़ाने की मांग
इसके साथ ही आढातियों ने सरकार के सामने यह मांग रखी है कि उन्हें बाज़ार में फसल खरीदने के अतिरिक्त अन्य व्यापार करने की भी आज्ञा दी जाए. इसके लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव और कृषि विभाग संजीव कौशल की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया गया है. पँद्रह दिनों की समयसीमा में समिति अपनी रिपोर्ट सरकार के समक्ष पेश करेगी.
पड़ोसी जिले के किसान भी बेच सकेंगे अपनी फसल
राज्य के आढ़तियों के जिन पड़ोसी जिलों के किसानों के साथ व्यापारिक संबंध हैं, उनका रेजिस्ट्रेशन व खरीद 15 अक्तूबर 2020 के बाद की जाएगी. खट्टर साहब ने बताया कि कपास व अन्य फसलों की खरीद आढ़तियों से करवाने के लिए केंद्र सरकार से इजाजत लेने के लिए दिल्ली जाकर मंत्रियों और उच्च अधिकारियों से मिलना होगा. बैठक में हरियाणा राज्य मंडी आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान अशोक गुप्ता, रजनीश चौधरी व रामावतार व जिला प्रधान मौजूद थे.
आढ़तियों व राइस मिलर्स के साथ नए कानूनों पर चर्चा
दुष्यंत चौटाला ने बताया कि आढ़ती एसोसिएशन और राइस मिलर्स के प्रतिनिधण्डल के साथ अलग-अलग बैठक की गई है. इस बैठक मे नए कृषि कानून लागू करने संबंधित चर्चा की गई. आढ़ती एसोसिएशन ने मांग रखी कि खुले बाजार व स्थानीय बाजार के रेट बराबर रहें. अगर किसान मेरी फसल-मेरा ब्योरा पोर्टल पर कहेगा कि उसकी पेमेंट डायरेक्ट होनी चाहिए तो किसान को डायरेक्ट पैमेंट दी जायेगी. हरियाणा ने केंद्र सरकार से 25 सितंबर 2020 से खरीद की इजाजत मांगी थी, लेकिन केन्द्र सरकार ने 1 अक्तूबर से खरीद की इजाज़त दी है.
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