ज्योतिष शास्त्र । न्याय के देवता कहे जाने वाले शनि महाराज 23 मई से मकर राशि में वक्री होने जा रहे हैं. इसके बाद ये 11 अक्टूबर तक, वक्री की अवस्था में रहेंगे. उसके बाद मार्गी होकर गोचर करेंगे. शनि की उल्टी चाल का प्रभाव 5 राशियों पर सर्वाधिक देखने को मिलेगा. इनमें मकर और कुंभ शनि की ही राशियां है. जबकि धनु के मालिक देव गुरु बृहस्पति है.
बता दें कि वर्तमान में इन तीनों राशियों पर ही शनि की साढ़ेसाती चल रही है. ऐसे में इनके ऊपर वक्री शनि का और अधिक प्रभाव पड़ेगा. शनि देव कर्म के अनुसार अच्छे और बुरे फल देते हैं. जिसकी वजह से इन्हें कर्म फल दाता कहा जाता है. वक्री अवस्था यानी उल्टी दिशा में गति करने पर शनि का प्रभाव राशियों पर अधिक पड़ता है. अधिकतर लोग शनि के प्रकोप से डरते हैं उनसे बचने के लिए कई उपाय करते हैं. इस साल शनि 23 मई को वक्री होंगे.
भगवान भैरव और हनुमान जी की पूजा देगी लाभ
शनि ग्रह के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भगवान भैरव जी व हनुमान जी की पूजा करना लाभकारी होता है. शनि की शांति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का जप करें. साथ ही शनिवार के दिन तिल,उड़द,लोहा, तेल,काला वस्त्र और जूते का दान करें. हर शनिवार को भगवान शनि के मंदिर में जाकर उन्हें तिल का तेल चढ़ाएं.
इन राशियों पर पड़ेगा शनि का प्रभाव
शनि ग्रह की 2 राशियां है कुंभ और मकर. शनि के वक्री होने का भी सबसे ज्यादा असर इन्हीं 2 राशियों पर देखने को मिलेगा. साढ़ेसाती की वजह से यह प्रभाव और बढ़ जाएगा. इसके अलावा शनि तुला में उच्च और मेष में नीच का होता है. वक्री अवस्था में यह तुला राशि वालों को सकारात्मक, जबकि मेष राशि वालों को नकारात्मक परिणाम देता है. जब यह किसी राशि के सप्तम भाव में होता है तो अशुभ फल देता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुला राशि, मिथुन राशि पर शनि की ढैया और धनु,मकर और कुंभ राशि पर शनि की साढ़ेसाती बनी हुई है.
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