चंडीगढ़ । हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर ने किसान में कोरोना मरीजों के लिए अस्थाई 500 बेड के चौधरी देवीलाल संजीवनी अस्पताल का शुभारंभ किया था. अब इस अस्पताल का शुभारंभ विवादों में घिरता नजर आ रहा है. रविवार को एक कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर,डिप्टी स्पीकर रणवीर सिंह व अन्य भाजपा नेताओं ने इस कोविड हस्पताल का शुभारंभ किया था. इस कार्यक्रम में बहुत से लोगों की भीड़ भी इकट्ठा हुई थी.
सोशल मीडिया में इस कार्यक्रम में उपस्थित भीड़ को लेकर मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर और भाजपा सरकार की किरकिरी लगातार होती आ रही है. अब इस मामले में एक नया मोड़ आया है. दरअसल रोहतक निवासी और पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में अधिवक्ता एनके सिंघल ने हिसार की डीसी डॉ प्रियंका सोनी और एसपी बलवंत सिंह राणा को कानूनी नोटिस भिजवा दिया है. एनके सिंह ने कोविड-19 लाइन का पालन न करने के लिए कानूनी कार्रवाई का सहारा लिया है.
श्री एनके सिंघल ने बताया कि सरकार ने लोक डाउन की घोषणा की थी. इसके साथ ही 2 मई को आदेश पारित किए गए थे कि इस प्रकार का कोई भी कार्यक्रम आयोजित ना किया जाए जिसमें भीड़ इकट्ठा हो. सरकार ने खुद ही नियम जारी किए गए थे. उन्होंने बताया कि मुख्यमंत्री होने के नाते श्री खट्टर को इन नियमों का पालन करना चाहिए था.परंतु उन्होंने नियमों को ताक पर रखा और ऐसे समय में कार्यक्रम आयोजित करवाया जबकि प्रदेश कोरोना संक्रमण के मामलों से जूझ रहा था और प्रदेश में लोक डाउन घोषित किया जा चुका था.लोगों की भीड़ इकट्ठा हुई और शारीरिक दूरी की परवाह किए बगैर ही अस्पताल का शुभारंभ किया गया.
उन्होंने कहा कि यदि यह नियम टूटे हैं तो इसके लिए डीसी, एसपी और खुद मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर और उनके साथ कार्यक्रम में उपस्थित सहयोगी जिम्मेदार हैं. जिनके ऊपर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. इसलिए इनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के साथ आईपीसी की धारा 188 और 269 को भी शामिल करना चाहिए. सिंघल द्वारा जारी नोटिस में लिखा है कि यदि डीसी और एसपी कार्रवाई नहीं करते तो यह माना जाएगा कि उनकी रजामंदी से यह कार्यक्रम हुआ था.
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