हिसार । कोरोना माहमारी के इस भयावह दौर में लोगों के जीवन की रक्षा के लिए दिन-रात कड़ी मेहनत करने वाले कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा राम भरोसे है. यदि उन्हें कोरोना हो जाए तो उसकी कोई गारंटी नहीं है कि उन्हें स्वयं के उपचार के लिए बेड मिल पाएगा या नहीं. ऐसा ही एक मामला सामने आया है. कोरोना योद्धाओं के अंतिम संस्कार कर रही टीम के इंचार्ज व नगरपालिका कर्मचारी संघ के प्रधान प्रवीण कुमार को 3 घंटे तक बेड नहीं मिला.
समय पर बैड न मिलने से कोरोना योद्धा की मौत
बता दें कि प्रवीण कुमार कोरोना के संक्रमण की वजह से मरने वाले 300 लोगों का अंतिम संस्कार करवा चुके हैं. बीमार प्रवीण को लेकर उनके परिजन 3 घंटे तक एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल तक भटकते रहे. मेयर से लेकर कमिश्नर और सीएमओ तक से प्रवीण के साथियों ने बेड की गुहार लगाई. इसके बाद कमिश्नर के प्रयासों से मुश्किल से उन्हें तोशाम रोड क्षेत्र के एक निजी अस्पताल में बेड मिल पाया . बता दे कि उनका ऑक्सीजन लेवल 40 तक पहुंच गया था और उनके साथियों का कहना था कि चिकित्सकों ने कहा है कि हम अपना काम कर रहे है . आप सभी भी भगवान से प्रार्थना करें. प्रवीण की हालत काफी गंभीर बनी हुई थी, देर रात उनकी मौत हो गई.
बेड के लिए परिवार वाले लगाते रहे अस्पतालों के चक्कर
बता दें कि प्रवीण कुमार ने हिसार शहर की सफाई व्यवस्था संभाल हुई थी,सफाई कर्मचारी यूनियन के प्रधान थे. वह करीब 700 सफाई कर्मचारियों की कमान संभाल रहे थे. वह शहर के पावरफुल लोगों में से एक थे. उनके एक इशारे पर पूरे शहर की सफाई व्यवस्था पर ब्रेक लग जाता था. नगर पालिका के प्रधान होने के बावजूद भी उन्होंने कोरोना के कारण मरने वालों की अंतिम संस्कार की कमान खुद संभाली.
प्रवीण के भाई पवन और यूनियन पदाधिकारी राजेश बागड़ी ने बताया कि रविवार को बीमार प्रवीण को उसके परिवार वाले इलाज के लिए 3 घंटे से एक अस्पताल से लेकर दूसरे अस्पताल के चक्कर लगाते रहे. लेकिन उन्हें किसी भी अस्पताल में बेड नहीं मिला. फिर कहीं जाकर उन्हें कमिश्नर के प्रयासों से एक निजी अस्पताल में बेड मिला. जब उनकी हालत काफी गंभीर हो गई थी. जिसकी वजह से देर रात उनकी मौत हो गई.
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