रोहतक । कोरोना के बाद हरियाणा में ब्लैक फंगस का खतरा भी बढ़ता जा रहा है . हर रोज हरियाणा में ब्लैक फंगस के नए मामले सामने आ रहे हैं. बता दें कि फिलहाल रोहतक पीजीआई में इस बीमारी के 41 मरीज दाखिल है. संस्थान के अलग-अलग विभागों में इन मरीजों का इलाज किया जा रहा है. लेकिन दवाओं की कमी मरीजों के इलाज में दिक्कत पैदा कर रही है.
हरियाणा ने ब्लैक फगस को किया महामारी घोषित
हरियाणा सरकार ने कोरोना के बाद ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसे महामारी घोषित कर दिया है. बता दे कि प्रदेश के 12 मेडिकल कॉलेज को इसके इलाज की जिम्मेदारी दी गई है. मेडिकल कॉलेज में इसके लिए अलग बोर्ड बनाने के निर्देश भी जारी किए गए हैं. हर मेडिकल कॉलेज को अलग-अलग जिलों के मरीजों का इलाज करने के निर्देश दिए गए हैं. रोहतक पीजीआई प्रदेश का सबसे बड़ा मेडिकल संस्थान है.
इसे 4 जिलों की जिम्मेदारी मिली है, इसमें रोहतक के अलावा जींद,चरखी दादरी और महेंद्रगढ़ शामिल है. लेकिन हैरानी की बात है कि पीजीआई मे 4 जिलों के महज 6 मरीज ही दाखिल है, बाकी 35 मरीज हिसार, फतेहाबाद, पानीपत, सोनीपत आदि जिलों से है. हरियाणा सरकार ने 17 मई को सभी मेडिकल कॉलेजों को मरीजों की जिम्मेदारी दी थी.
दवाइयों की कमी के वजह से उपचार में हो रही है दिक्कत
अब हालात यह बन गए हैं कि रोहतक पीजीआई में दवाइयों की कमी होने लगी है. जिसकी वजह से मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पा रहा. बता दें कि पीजीआई की मेडिकल सुप्रिडेंट डॉ पुष्पा दहिया ने भी माना है कि पीजीआई में ब्लैक पंकज की दवाइयों की कमी है. मरीजों की संख्या ज्यादा होने के कारण दवाइयों की कमी पड़ रही है. अभी तक यह तय नहीं हो पाया है कि हमें 4 जिलों के हिसाब से दवाई मिलेगी या फिर मरीज के लोड के हिसाब से.
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