हिसार | आजकल बैंको की बदौलत लोगों के लिए किसी भी चीज को खरीदना आसान हो गया है, क्योंकि बैंको से ज्यादातर वस्तुओं को खरीदने के लिए लोन आसानी से मिल जाता है. परन्तु यह देश का कड़वा सच है कि पर्यावरण प्रदूषण को रोकने वाले, स्वास्थ्य अच्छा रखने वाले और सस्ती सवारी के लिए सर्वोत्तम साधन साइकिल, ई-बाइक्स और ई-रिक्शा के क्षेत्र में वित्तीय सहायता सुविधाएं अभी ज्यादा विकसित नही हो पाई है. भारत में साइकिलस, ई-बाइक्स व ई-रिक्शा का उपयोग निरंतर बढ़ता ही जा रहा है. परन्तु आजतक बैंको ने इन सब वस्तुओं के लिये वित्तीय सहायता से सम्बंधित कोई भी योजना नहीं बनाई है.
अब एक बड़ी साईकल कम्पनी ने इसकी तरफ ध्यान दिया है. ऑल इंडिया साइकिल मैन्यु्फैक्चरर एसोसिएशन (OICMA) ने इस मुद्दे को केंद्र सरकार के सामने प्रस्तुत किया है. साइकिल इंडस्ट्रीज़ भारत सरकार से इन उत्पादों पर भी वित्तीय सहायता की सुविधा देने की मांग कर थी है.
पर्यावरण की स्थिति सुधारने में होगी सहायक
आजकल हर क्षेत्र में चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, फाइनांस की सुविधा मिल ही जाती है. परन्तु ई-रिक्शा, ई-बाइक्स, साइकिल्स आदि को इस वर्ग से बाहर रखा गया है. एसोसिएशन के प्रधान और AVON साईकल लिमिटेड के CMD (ओंकार सिंह पेहवा) का मानना है सरकार साइकिल वर्ग को राहत देने के लिए बड़ा कदम उठा सकती है. हालांकि कुछ बैंक्स इस बारे में विचार कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई ऑफिशियल गाइडलाइन नही आई है. आजकल लोग महँगी महंगी साइकिलों को लेना पसंद करते हैं. लेकिन वे कीमत का भुगतान किश्तों में करना चाहते हैं. साइकिल और ई-बाइक्स जैसे उत्पादों से पर्यावरण भी दूषित नही होगा. अगर इन क्षेत्र में वित्तीय सहायता की सुविधा दी जाती है तो ज्यादा से ज्यादा लोग इन उत्पादो की तरफ़ आकर्षित होंगे और वातावरण सुरक्षित रहेगा.
मेक इन इंडिया के तहत दी जा सकती है फाइनांस की सुविधा
पहले इस फील्ड में फाइनांस की सेवा देने के लिए कुछ निजी कंपनियां भी आगे आई थी, परन्तु सफल नही हो पाई. अब सरकार को ही माइक्रो लोन की गाइडलाइंस तैयार करनी होंगी. अनुमान है कि सरकार मेक इन इंडिया साइकिलों पर वित्तीय सहायता की सुविधा उपलब्ध करवा सकती है.