कुरुक्षेत्र | छः साल की छोटी सी उम्र, बच्चे की जिद थी हॉकी स्टिक लेने की लेकिन पिता ने दिलाने से इंकार कर दिया. आज उन्हीं हाथों ने हॉकी थाम विश्वभर में अपने पिता और देश का नाम रोशन किया है. हम बात कर रहे हैं अंतरराष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी सुरेन्द्र कुमार की, जिन्होंने अपने खेल के दम पर लगातार दूसरी बार ओलंपिक में जाने वाली भारतीय हॉकी टीम में जगह बनाईं है.
कभी पापा के दोस्त ने दिलाई थी हॉकी स्टिक
पापा ने हॉकी स्टिक दिलाने से इंकार किया तो पिता के दोस्त के सामने गुहार लगाई. पिता के दोस्त सुरेन्द्र व उसके भाई को साइकिल पर बैठाकर साथ लें गए और हॉकी स्टिक दिलवाई. हॉकी स्टिक हाथों में थाम सुरेन्द्र ने कुरुक्षेत्र के द्रोणाचार्य स्टेडियम में बने घास के मैदान में पसीना बहाना शुरू कर दिया. देखते ही देखते सुरेन्द्र इस खेल में नई ऊंचाईयों को छूने लग गए . सुरेन्द्र के खेल की सबसे मजबूत कड़ी डिफेंडर की पॉजिशन संभालना है और वो प्रतिद्वंद्वी टीम के सामने चट्टान बनकर खड़े हो जाते हैं.
दूसरी बार ओलंपिक में जलवा दिखाएंगे सुरेंद्र कुमार
सुरेन्द्र कुमार पिछले कई महीनों से भारतीय पुरुष हॉकी टीम के साथ बेंगलुरु में आयोजित शिविर में अभ्यास कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि उनकी टीम का लक्ष्य हॉकी इवेंट में देश को गोल्ड मेडल दिलाना है. पूरी टीम इसके लिए अभ्यास में जुटी हुई है.
वहीं ओलम्पिक टीम में सेलेक्ट होने के बाद सुरेन्द्र के कुरुक्षेत्र में स्थित सेक्टर-8 घर में बधाई देने वालों का तांता लगा हुआ है. सुरेन्द्र के परिजनों ने कहा कि शुक्रवार सुबह 12 बजे के करीब उन्हें सुरेन्द्र के ओलम्पिक में चयन होने की सूचना मिलीं तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
2010 में अंडर-19 में किया शानदार प्रदर्शन
2010 में सुरेन्द्र ने सोनीपत के राई स्कूल में आयोजित अंडर-19 प्रतियोगिता में पहली बार खेलते हुए अपने शानदार खेल की बदौलत हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा. इसी प्रदर्शन के दम पर सुरेन्द्र का चयन 2011 में जूनियर नेशनल गेम्स के लिए हरियाणा प्रदेश की टीम में हुआ. सुरेन्द्र के शानदार खेल की बदौलत पुणे में हुई यह प्रतियोगिता जीतकर प्रदेश ने पिछले 50 साल के रिकार्ड को तोड़ने में सफलता हासिल की.
इसके बाद सुरेन्द्र नेशनल कैंप में सेलेक्ट हुए. 2017 में एशिया कप में स्वर्ण पदक,2018 में एशियन गेम्स में कांस्य, चैंपियन ट्रॉफी 2016,18 में रजत पदक जीता और लगातार दूसरी बार ओलंपिक में जगह बनाईं.