नई दिल्ली, CoronaVirus | एम्स के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने कोरोना वायरस की तीसरी लहर को लेकर चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन अवधि समाप्त होने पर लोगों ने एक बार फिर से बचाव के नियमों को लेकर सहजता दिखाना बंद कर दिया है और बाजारों आदि में फिर से भीड़ एकत्रित होने लगी है. इसलिए तीसरी लहर आने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता.
उन्होंने अपने बयान में कहा कि यदि लापरवाही का यही आलम बना रहा तो डेढ़ से दो महीने में तीसरी लहर आ सकती है. इसलिए बचाव के नियमों का सख्ताई से पालन करना होगा. उन्होंने कहा कि अनलॉक प्रकिया शुरू होते ही लोगों में कोरोना से बचने हेतु अनुकूल व्यवहार में कमी देखी जा रही है. ऐसा लग रहा है जैसे लोगों ने पहली व दूसरी लहर से कोई सबक नहीं सीखा हों. एक बार फिर सोशल डिस्टेंस की धज्जियां उड़ाई जा रही है, ऐसे में तीसरी लहर आना स्वाभाविक है.
सामान्य तौर पर नई लहर आने के बीच तीन महीने का अंतर होता है लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि लोगों ने महामारी से बचाव हेतु कितनी जागरुकता दिखाई और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए किस तरह से प्रयास किए गए. हालांकि संक्रमित केसों की संख्या बढ़ने में समय लग सकता है लेकिन तीसरी लहर तीन महीने के अंतराल से थोड़ा वक्त पहले आ सकती है.
उन्होंने कहा कि देश की इतनी बड़ी आबादी को जल्द से जल्द टीकाकरण करना सबसे बड़ी चुनौती है. जब तक व्यापार स्तर पर टीकाकरण नहीं होगा,तब तक संक्रमण बढ़ने का खतरा मंडराता रहेगा. वायरस में बार-बार म्युटेशन भी सामने आ रहा है. वायरस में म्युटेशन होने के बाद ही नया स्ट्रेन बाहर से देश में आया और पूरे देश को दूसरी लहर का सामना करना पड़ा. उन्होंने बताया कि संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन बेहतर विकल्प नहीं है. इससे आर्थिक गतिविधियां चरमरा जाती है.
संक्रमण की निगरानी के लिए आक्रामक रुख अख्तियार करना होगा. यदि कहीं संक्रमण फैलाव ज्यादा नजर आता है तो कंटेनमेट जोन में लॉकडाउन लगाना चाहिए. संक्रमण की दर पांच फीसदी से अधिक होने पर मिनी लॉकडाउन घोषित किया जाना चाहिए. संक्रमण से बचाव हेतु लोगों में जागरूकता होना बहुत जरूरी है. घर से बाहर निकलते समय मास्क जरुर पहने और सोशल डिस्टेंस के नियमों का पालन करें.
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