हिसार | हिसार से फसल अवशेष प्रबन्धन से जुड़ी बड़ी खबर सामने आ रही है. हिसार उपायुक्त डॉ० प्रियंका सोनी ने जानकारी देते हुए बताया है कि जिले में फसलों के बचे हुए अवशेषों का प्रबंधन करने के लिए बड़े इंतेजाम किए गए हैं. इसमे जिला स्तर, उपमंडल स्तर, खण्ड स्तर और गाँव स्तर पर 4 कमेटियों का गठन किया गया है. इन कमेटियों का कार्य फसल के अवशेषों अर्थात पराली को जलाने पर निगरानी रखना है, और इन्हें जलाने से रोकना है.
लोगों में जागरूकता लाने के लिए सरकार कर रही हर सम्भव कोशिश
पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण एवं इसके अन्य विभिन्न दुष्परिणामों से आम लोगो को अवगत कराया जा रहा है, ताकि लोगों में जागरूकता बढ़ सके. इसके लिए जिला स्तर पर एक सेमिनार भी आयोजित किया गया है. इसके साथ ही खण्ड स्तर पर 6 और गाँव स्तर पर 141 जागरूकता शिविर लगाए जा चुके हैं.
लोगों तक इसके दुष्परिणाम की जानकारी पहुँचाने के लिए और जागरूकता फैलाने के लिए 298 स्थानों पर दीवार पर चित्र आदि बनाये गए हैं. पहले जिन गाँवो में पराली जलाई जाती थी उन्हें अब रेड ज़ोन में रखा गया है. वहाँ के 280 कृषकों को प्रशिक्षण दिया गया है ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हो सके.
पराली जलाने पर होगी सख्त कार्यवाही, प्रशासन हुआ सतर्क
हिसार जिले में इस समय तक 143 कस्टम हाइरिंग सेंटर बनाये गए हैं. साथ ही 2236 किसानों को फसलों के अवशेषों का प्रबंधन करने के लिए मशीनें भी प्रदान की गई है. हिसार उपायुक्त ने बताया कि जिले के लगभग 141 गाँवो में धान की खेती की जाती है. इन 141 गांवों को रेड व ऑरेंज जोन में बांट दिया गया है. रेड ज़ोन के अंतर्गत 7 गांव आते हैं व ऑरेंज जोन के अंतर्गत 16 गांव आते हैं.
इन गांवों में पराली जलाने जैसी घटनाओं को लेकर प्रशासन बहुत ही ज्यादा सतर्क हो गया है. इस पर मुख्य सचिव ने सख़्ती से कहा है कि यदि कोई भी पराली आदि जलाता पाया जाता है तो उसके विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाएगी व DDA कार्यालय द्वारा चालान भी किया जाएगा |
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