चंडीगढ़ । हरियाणा में तेज गर्मी के साथ ही राजनीतिक पारा भी खूब चढ़ा हुआ है. 5 बार सीएम रह चुके इनेलो प्रमुख ओमप्रकाश चौटाला की तिहाड़ जेल से रिहाई हो चुकी है, इस वजह से राजनीतिक पारे को नई ऊंचाइयां मिली है. वहीं कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बीच अभी तनातनी चल रही है. 86 साल के मजबूत चौटाला के जेल से रिहा होने के बाद प्रदेश की जाट लीडरशिप में नए राजनीतिक समीकरण बनते दिखाई दे रहे हैं. बता दे कि जहां एक तरफ कांग्रेस,इनेलो और जजपा के बीच जाट लीडरशिप को लेकर जबरदस्त द्वंद चल रहा है. वहीं सत्तारूढ़ भाजपा गैर जाटों के दम पर दूसरे दलों की इस लड़ाई का भरपूर फायदा उठा रही है.
ओम प्रकाश चौटाला की रिहाई से जाट लीडरशिप के लिए पैदा की तमाम चुनौतियां
आजकल हरियाणा कांग्रेस में भी जबरदस्त कोहराम मचा हुआ है. उम्रदराज दिल के मजबूत चौटाला अपनी आयु और दिव्यागता के आधार पर तिहाड़ जेल से रिहा हुए हैं. बता दें कि चौटाला ने अपनी समय से पूर्व रिहाई के लिए केंद्र सरकार की 18 जुलाई 2018 की उस अधिसूचना का हवाला दिया, जिसके तहत 60 साल से ज्यादा उम्र पार कर चुके पुरुष, दिव्यांग बच्चे अगर अपनी आधी सजा काट चुके हैं तो राज्य सरकार उनकी रिहाई के बारे में विचार कर सकती है.
बता दें कि चौटाला पिछले कई दिनों से इलाज के लिए गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में भर्ती थे. उनकी रिहाई के साथ ही चौटाला ने जहां इनेलो संगठनों के विस्तार,किसान संगठनों के आंदोलन में भागीदारी और फील्ड में उत्तर कर कार्यकर्ताओं को जोड़ने के लिए सक्रियता बढ़ाने का संदेश दिया है. उनकी रिहाई के साथ ही प्रदेश की जाट लीडरशिप के लिए भी तमाम चुनौतियां पैदा हो गई है. ओम प्रकाश चौटाला फिलहाल गुरुग्राम से अपने फार्म हाउस पर परिवार के साथ आराम कर रहे हैं.
ओम प्रकाश चौटाला फिल्ड पर उतरकर सबसे पहले करेंगे यह कार्य
मेदांता के डॉक्टरों ने उन्हें फील्ड पर जाने से मना किया है. ओम प्रकाश चौटाला का पहला लक्ष्य इनेलो को फिर से खड़ा करने के साथ ही किसान संगठनों के आंदोलन में भागीदारी कर उनका भरोसा जीतने का होगा. हालांकि यह काम हुड्डा और अभय सिंह चौटाला भी कर रहे हैं, लेकिन ओम प्रकाश चौटाला का अपना अलग ही वजूद और रुतबा है.
बड़े चौटाला से सलाह मशवरा के बाद ही अभय चौटाला ने ऐलनाबाद से तीन कृषि कानूनों के समर्थन मे विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दिया था. जब ओम प्रकाश चौटाला फील्ड में निकलेंगे तो उनके साथ अभय चौटाला के दोनों बेटे करण चौटाला और अर्जुन चौटाला भी बारी-बारी से दिखाई देंगे. प्रकाश चौटाला की रिहाई का सबसे बड़ा असर भूपेंद्र सिंह हुड्डा की जाट व किसान लीडरशिप पर पड़ सकता है.
बढ़ सकती है दुष्यंत चौटाला के लिए चुनौतियां
ओम प्रकाश चौटाला को पहले ही इन दोनों वर्गों का समर्थन हासिल रहा है. कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा को पद से हटाने का हुड्डा समर्थक विधायकों ने इसलिए ही माहौल बनाया है, ताकि वह हाईकमान और प्रदेश की जनता में यह संदेश दे सके कि हुड्डा की लीडरशिप बरकरार है. बता दे कि कांग्रेस के पास भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा के अलावा दूसरा कोई जाट और किसान चेहरा नहीं है. इनेलो से अलग होकर अस्तित्व में आई जननायक जनता पार्टी के नेता के रूप में दुष्यंत चौटाला और उनके पिता अजय चौटाला भी इनेलो रूपी उसी वृक्ष के अंग है. जिसका जन्म देवीलाल और ओमप्रकाश चौटाला की ही देन है. इस वजह से उनकी चुनौतियां भी अब बढ़ गई है.
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