चंडीगढ़ । पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार के उस आदेश पर रोक लगाने का निर्णय लिया है जिसके तहत सरकार ने आदेश जारी कर सरकारी स्कूलों में दाखिले के लिए स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट की अनिवार्यता खत्म कर दी थी.सरकार द्वारा जारी आदेशों के तहत सभी प्राइवेट स्कूलों को 15 दिनों के अंदर ऑनलाइन एसएलसी जारी करने के निर्देश दिए थे. हाईकोर्ट ने यह आदेश सर्व हरियाणा प्राइवेट स्कूल ट्रस्ट जिला हिसार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए जारी किया. याचिका में हरियाणा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, जिला शिक्षा अधिकारी हिसार समेत जिले के दर्जनों सरकारी स्कूलों को प्रतिवादी बनाया है.
याचिका में हरियाणा सरकार द्वारा 15 जून को जारी उस आदेश को रद्द करने की मांग की थी, जिसके तहत दाखिलों में स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट की अनिवार्यता खत्म कर दी थी. बैंच को बताया कि सरकार के आदेश के तहत सभी प्राइवेट स्कूलों को 15 दिनों के अन्दर आनलाईन एसएलसी जारी करने का निर्देश दिया है. अगर कोई निजी स्कूल संचालक 15 दिनों के भीतर एसएलसी जारी नहीं करता है तो स्वाभाविक रूप से एसएलसी को जारी हुआ मान लिया जायेगा और संबंधित छात्र को नियमित एडमिशन दे दिया जाएगा. याचिकाकर्ता ने बेंच को बताया कि सरकार का यह आदेश हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 158 के खिलाफ है. इस आदेश के पीछे साफतौर पर सरकार की मनमानी जाहिर हो रही है.
याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि इस मामले में सरकार खुद असमंजस की स्थिति में है. एक तरफ तो सरकार प्राइवेट स्कूलों को ट्यूशन फीस लेने की छूट दें रहीं हैं और ट्यूशन फीस ना देने वाले विद्यार्थियों के नाम काटने की परमिशन भी दीं है. वहीं दूसरी तरफ एसएलसी बारे जारी यह आदेश एक दूसरे के विरोधाभास है. सरकार द्वारा जारी इस आदेश से निजी स्कूलों के विद्यार्थी स्कूल की फीस व अन्य शुल्क चुकाएं बगैर सरकारी स्कूलों में एडमिशन ले रहे हैं. इस वजह से निजी स्कूलों की वित्तीय हालत काफी दयनीय हों रही है. इतना ही नहीं सरकार ने एमआईएस पोर्टल , जहां पर स्कूली बच्चों का डाटा अपडेट होता है, वहां भी बिना एसएलसी लिए एडमिशन लेने वाले विद्यार्थियों को सरकारी स्कूल का विधार्थी दिखाया जा रहा है.
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