अंबाला । ऑटो रिक्शा चलाने वाला एक पिता अपने बेटे को आर्मी में अफसर बनाने का सपना देखता था. इसके लिए वह दिन-रात कड़ी मेहनत भी कर रहा था. पिता की नजर जब भी किसी आर्मी अफसर को देखती तो उसके दिल में भी यहीं ख्याल आता था कि वह भी अपने छोटे बेटे को देश सेवा के लिए आर्मी में भेजेंगे. परंतु होनी को कुछ और ही मंजूर था. शायद इस अभागे पिता की तकदीर में यह नहीं लिखा था कि वह अपने बेटे को आर्मी का अफसर बना हुआ देख सकें. ह्रदय गति रुकने की वजह से उनकी मौत हो गई.
बड़े बेटे ने संभाली घर की जिम्मेदारी
पिता की मौत के बाद घर की जिम्मेदारी बड़े बेटे 16 वर्षीय ओंकार पर आ गई. हरियाणा के अंबाला जिले के गांव मिटटापुर के रहने वाले इस परिवार में बड़े बेटे ओंकार ने भी इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया. छोटे भाई नरेंद्र सिंह की आयु भी उस समय महज 14 वर्ष थी. बड़े भाई ओंकार ने घर की सारी जिम्मेदारी अपने नाज़ुक कंधों पर ले ली और मज़दूरी करके परिवार का पालन-पोषण करने लगा. उन्होंने खुद ही घर का सारा कार्यभार संभालते हुए छोटे भाई नरेंद्र की पढ़ाई छूटने नहीं दी.
नरेंद्र ने की खूब मेहनत
नरेंद्र भी अपने बड़े भाई को पिता का दर्जा दिया और दिन-रात पढ़ाई करने लगा. नरेंद्र ने समलेहड़ी के सरकारी स्कूल से 12 वीं की परीक्षा पास की. नरेंद्र की आर्थिक स्थिति को देखते हुए स्कूल के टीचर भी उसकी मदद करते थे. नरेंद्र पढ़ाई में सबसे आगे था तो सबकी नजरों का प्यारा बन गया था. इसके बाद ओंकार ने छोटे भाई नरेंद्र को उच्च शिक्षा हासिल करने के लिए जालंधर भेज दिया. जालंधर यूनिवर्सिटी से नरेंद्र ने 81% अंक लेकर बीटेक एयरोनॉटिकल की डिग्री हासिल की. पढ़ाई में होशियारी के इनाम के रूप में नरेंद्र को कालेज से स्कॉलरशिप हासिल हो गई थी.
नरेंद्र ने किया डाकिए का काम
नरेंद्र ने डिग्री हासिल करने के बाद भाई का हाथ बंटाना शुरू कर दिया. उसने अंबाला डाकघर में डाक सेवक के रूप में काम करना शुरू कर दिया. नरेंद्र सुबह-शाम बच्चों को ट्यूशन भी पढ़ाने लगा ताकि परिवार की कुछ आर्थिक मदद हों जाएं. इस दौरान नरेंद्र ने साथ ही डिफेंस परीक्षा के लिए भी तैयारी करना शुरू कर दिया था.
12 बार परीक्षा दी और बनें लेफ्टिनेंट
2018 से 2020 के दौरान उन्होंने भारतीय सेना और भारतीय नेवी के विभिन्न पदों के लिए करीब 12 बार परीक्षा में शामिल हुएं. परंतु वर्ष 2020 में वह 12 वीं बार अपने प्रयास में सफल रहे और भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट रैंक के लिए उनका सेलेक्शन हुआ. चयन के बाद भारतीय सेना में उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी की. हाल ही में 12 जून 2021 को लेफ्टिनेंट के पद पर उनकी नियुक्ति हुई है. नरेंद्र सिंह ने बताया कि आज उन्हें अपने पिता का सपना पूरा होने की बहुत ज्यादा खुशी है. परन्तु वह अपनी कामयाबी का श्रेय अपनी मां और बड़े भाई को देते है जिन्होंने मुझे इस पद तक पहुंचाने के लिए दिन-रात एक कर दिया था.
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