नई दिल्ली । हरियाणा कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष को लेकर चल रही वर्चस्व की जंग में बहुत कुछ छन- छन कर बाहर आ रहा है तो बहुत कुछ अभी अंदर ही कैद हैं. पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा व प्रदेशाध्यक्ष कुमारी शैलजा के बीच चल रही खींचतान भी जगजाहिर है लेकिन सैलजा को अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की मांग को पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा से जोड़कर देखना भुपेंद्र हुड्डा समर्थित खेमा सही नहीं मान रहा है. छनकर आ रही सूचनाओं की सच्चाई यह है कि हुड्डा खेमें ने हाईकमान को संगठन की नियुक्तियों से संबंधित अपना मैरिट फॉर्मूला दें दिया है.
अंदरुनी जानकारी के मुताबिक पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा का जोर न किसी को हटाने पर है और न किसी को बनानें पर है. उन्होंने तर्क दिया है कि किसी क्षेत्र विशेष में क्षेत्र विशेष के किसी एक नेता को भी तव्वजो ना दी जाएं. हुड्डा का ध्यान पदाधिकारियों की नियुक्ति के समय ऐसा फॉर्मूला तय करने पर है , जिससे मौजूदा विधायकों का सम्मान बढ़े.
पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा चाहते हैं कि पार्टी संगठन को मजबूत बनाने के लिए जहां से कांग्रेस के विधायक हैं , वहां नियुक्ति में उनकी मर्जी हो . जिस क्षेत्र से कांग्रेस पार्टी के विधायक नहीं है , वहां चुनावों में दूसरे नंबर पर रहने वाले कांग्रेस उम्मीदवार की बात सुनीं जाएं. हुड्डा इसी फार्मूले के आधार पर मैरिट तय करने की वकालत कर रहे हैं.
विरोधियों को गले लगाने पर ऐतराज
हुड्डा समर्थित खेमें का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री भुपेंद्र हुड्डा और सांसद दीपेंद्र हुड्डा को किसी कांग्रेसी से कोई गिला शिकवा नहीं है. विरोधियों की व्याख्या पूछने पर हुड्डा समर्थित खेमें का कहना है कि जिन्होंने पिछले विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ प्रचार किया, उन्हें कैसे किसी विधायक या हारे हुए मजबूत कांग्रेस उम्मीदवार पर तव्वजो दी जा सकती है. हुड्डा ने हाईकमान को सचेत किया कि विरोधियों को गले लगाने से पार्टी की नींव कमजोर होंगी, जबकि उस व्यक्ति को सम्मान देने से पार्टी का आधार बढ़ेगा ,जिसका अपना जनाधार हैं.
कुछ बातों को लेकर खुश नहीं हैं टीम हुड्डा
अशोक तंवर के कांग्रेस पार्टी छोड़ने व कुमारी शैलजा के प्रदेशाध्यक्ष बनने तक के घटनाक्रम में भुपेंद्र हुड्डा की भूमिका से हुड्डा समर्थित खेमा खफा हैं. उन्होंने कहा कि उनके नेता ने न पहले किसी की कुर्सी छीनी और ना ही फिलहाल कोई ऐसी कोशिश की जा रही है. मगर कुछ विरोधी लोग ऐसा दुष्प्रचार कर रहे हैं जैसे हुड्डा कुमारी शैलजा को अध्यक्ष पद से हटाने पर अड़े हैं.
हुड्डा समर्थित खेमें से एक नेता ने कहा कि अगर विधानसभा चुनावों के समय पार्टी हाईकमान उनकी आधी बात मानने की बजाय पूरी बात मानता तो आज प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का शासन होता. दीपेंद्र हुड्डा का जनाधार पूरे प्रदेश में बढ़ा है तो यह उनकी कार्यप्रणाली का परिणाम है.