मिसाल: आपदा को अवसर में बदल हासिल किया नया मुकाम, समाज के लिए प्रेरणा है पांचों भाईयों का संघर्ष

चरखी दादरी । गांव चंदेनी निवासी बलवंत सिंह , रोड़वेज में परिचालक के पद पर कार्यरत थे. लकवा ग्रस्त हो गए तो बेटों ने इलाज के लिए हस्पतालों और डॉक्टरों के खुब चक्कर लगाएं. लेकिन कोई आराम नहीं हुआ और आखिर में थक-हारकर बैठ गए. पिता की बीमारी ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बेटों में एक अलग ही जुनून पैदा कर दिया और चार बेटों पर डॉक्टर बनने का भुत सवार हो गया.

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बीमारी की वजह से परिचालक बलवंत को वीआरसी लेनी पड़ी, लेकिन आर्थिक हालातों को अनदेखा कर बलवंत के बेटे तेजवीर ग्रेवाल व जगबीर ग्रेवाल ने एमबीबीएस की डिग्री हासिल की . दोनों का कारवां यहीं नहीं थमा , तेजवीर ग्रेवाल ने डीएम कोर्डियो व जगबीर ग्रेवाल ने यूरो सर्जन की डिग्री हासिल की. बलवंत सिंह के दो बेटे सुनील व संजय बीएएमएस (आर्युवेद) की पढ़ाई कर अपनी सेवाएं दे रहे हैं. पांचवें बेटे ने कानून की पढ़ाई पूरी कर ली है.

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बलवंत सिंह ग्रेवाल राजस्थान परिवहन विभाग में बतौर परिचालक कार्यरत थे. वें लकवाग्रस्त हों गए. पांचों बेटों ने पिता के उपचार के लिए अनेकों डाक्टरों के पास दौड़-धूप की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. ये सब महसूस कर बेटों में चिकित्सक बनने की जिज्ञासा जागृत हो गई. पिता के समय से पहले रिटायर होने पर आर्थिक हालातों से भी जुझना पड़ा. मगर बेटों ने सरकारी स्कूल व फिर कालेज में पढ़ाई का सिलसिला जारी रखा.

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चार बेटे हैं चिकित्सक

आज बलवंत सिंह ग्रेवाल के चार बेटे डॉक्टर हैं. दो बेटों ने एमबीबीएस के बाद चिकित्सा शिक्षा क्षेत्र में उच्च डिग्री हासिल की. डॉ तेजवीर ग्रेवाल गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में बतौर डीएम कोर्डियो अपनी सेवाएं दे रहे हैं . डॉ जगबीर ग्रेवाल मेडिकल कॉलेज मदुरै यूरो सर्जन है. शिक्षाविद एवं समाज सेवी डॉ विजय सांगवान मंदौला ने बताया कि जल्द ही निकट भविष्य में अधिवक्ता अनिल कुमार व चारों डॉक्टरों के सम्मान में समारोह का आयोजन किया जाएगा. उनके द्वारा किया गया संघर्ष आज समाज के लिए एक प्रेरणा है और हम सभी को इससे यह सीख लेनी चाहिए कि परिस्थितियों चाहे कितनी ही विकट क्यों ना हो, आदमी को आखिरी दम तक प्रयत्न करना चाहिए.

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