अंबाला । हरियाणा में काफी ऐतिहासिक धरोहर हैं, इनमें से एक धरोहर आज भी अंबाला में सहेजी जा रही है. अंबाला में अंग्रेजों के जमाने की घड़ी है, इसे देखने के लिए भी लोग दूर दूर से आते हैं.
डिजिटल जमाने में बेशक घड़ियां अपडेट हो चुकी है लेकिन अंग्रेजों के जमाने की घड़ी ऐसी है, जिसे देखकर आप दंग रह जाएंगे. अंबाला कैंट के राजकीय स्नातकोत्तर कॉलेज में यह घड़ी आज भी धरोहर के तौर पर मौजूद है. इस घड़ी की खासियत है कि इसमें धूप और छांव के आधार पर समय को जाना जाता है. जबकि अंबाला में किस लैटिट्यूड और लॉन्गिट्यूड पर इसकी जानकारी भी इसी घड़ी में मिल जाती है.
अंबाला कैंट के राजकीय स्नातकोत्तर कॉलेज में साल 1996 में घड़ी की स्थापना की गयी. इसे तत्कालीन कैंटोनमेंट मजिस्ट्रेट जेएय पारसंस ने जनवरी 1896 में स्थापित किया था. उस समय के महाराजा बिक्रम सिंह ने इस घड़ी की स्थापना में अपना योगदान दिया था. करीब सवा साल के बाद यह घड़ी आज भी कॉलेज में मौजूद हैं, खास बात है कि इस गाड़ी को लोहे की पत्तियों से बनाया गया है. इन पत्तियों में आज तक जंग भी नहीं लगा और उसी सूरत में मौजूद हैं जैसे ये पहले मौजूद थीं.
इस बार समय जांचने के लिए उकेरे गए अंक आज भी पूरी तरह से पढ़े जा सकते हैं. जिनमें कोई भी अंतर नहीं आया है. बताया जाता है कि जैसे-जैसे सूर्य गति करता है, उसी तरह से ऊपर छाया पड़ती है. इसी के आधार पर समय भी पहचाना जाता है. इसमें 12 घंटों का समय निकाला जा सकता है. इसके अलावा अंबाला का लैटिट्यूड और लॉन्गिट्यूड क्या है इसका पता भी इसी गाड़ी से चलता है. हालांकि आधुनिक समय में छात्र इस गाड़ी के बारे में ज्यादा नहीं जानते लेकिन कॉलेज इसे धरोहर के रूप में अपने पास रखे हुए है.
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