रवि की सफलता के पीछे संघर्षों की कई कहानियां, दूसरों की जमीन पर खेती कर चला घर का खर्चा

सोनीपत | भारतीय पहलवान रवि कुमार दहिया का नाम आज हर किसी की जुबां पर है और होना भी चाहिए. क्योंकि यह पहलवान आज 5 अगस्त के दिन कुश्ती के इतिहास में भारत के लिए अब तक का सबसे बड़ा पदक जीतने के लिए मैदान में उतरेगा. लेकिन रवि की सफलता के पीछे संघर्षों की एक लंबी कहानी……

ravi dahiya

रवि कुमार दहिया का जन्म 12 दिसंबर 1997 को हरियाणा के सोनीपत जिले के नहरी गांव में हुआ. रवि दहिया के पिता का नाम राकेश दहिया है. रवि के परिवार की आर्थिक स्थिति काफी कमजोर थी. उनके पिता किसान थे लेकिन वह दूसरों के किराए के जमीन पर खेती करते थे क्योंकि उनके पास खेती करने के लिए जमीन नहीं थी. रवि सोनीपत के जिस इलाके से आते थे वहां से फोगाट बहनें, बजरंग पुनिया, योगेश्वर दत्त जैसे दिग्गज पहलवान भी निकले हैं.

बेटे के लिए पिता का संघर्ष

रेसलर रवि कुमार दहिया की सफलता के पीछे सबसे बड़ी मेहनत, त्याग, और संघर्ष उनके पिता राकेश दहिया का है. परिवार की आय बहुत निम्न थी इसलिए पिता दूसरों के खेतों में खेती कर घर का खर्चा चलाया करते थे. रवि रेसलिंग की तैयारी दिल्ली में कर रहा था लेकिन पहलवानी के लिए दूध, दही और मक्खन जैसे जरूरी खाने की चीजें खरीदने तक के पैसे नहीं थे. उनके पिता रोजाना गांव से 40 किलोमीटर की दूरी तय कर उनको दूध दही और मक्खन जैसी जरूरी चीजें देने दिल्ली जाया करते थे. पिता के इसी संघर्ष और जुनून के कारण उनका बेटा रवि आज इतिहास के सुनहरे पन्नों में अपना नाम दर्ज करवा रहा है. जब भी रवि के सफलता की बात होगी वहां पिता के संघर्ष का भी जिक्र जरूर आएगा.

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दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में की ट्रेनिंग

10 साल की उम्र से ही रवि ने दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में ट्रेनिंग शुरू कर दी थी. उन्होंने 1982 के एशियन गेम्स में गोल्ड जीतने वाले सतपाल सिंह से प्रशिक्षण लिया है. रवि कुमार दहिया ने अपना डेब्यू 22 साल की उम्र में किया था. उन्होंने अपना पहला मैच वर्ल्ड चैंपियनशिप में खेला था और उस मैच में रवि कुमार दहिया ने ईरान के खिलाड़ी और एशियन चैंपियन रीज़ा अत्रीनाघारची को हराया था. इसी मैच के बाद से ही लगने लगा था कि रवि आगे चलकर जरूर ओलिंपिक तक पहुंच सकता है.

चोट लगने से भी नहीं टूटा हौसला

2015 जूनियर वर्ल्ड रेसलिंग चैम्पियनशिप में रवि की प्रतिभा नजर आई. उन्होंने 55 किलो कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता, लेकिन सेमीफाइनल में चोटिल भी हो गए. उसके बाद सीनियर वर्ग में करियर बनाने के दौरान चोट के कारण उन्हें पीछे भी हटना पड़ा. 2017 के सीनियर नेशनल्स में चोट ने उन्हें परेशान किया. इस कारण उन्हें कुछ समय मैट से दूर रहना पड़ा. जिससे ठीक होने में उन्हें करीब एक साल का समय लगा.

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टोक्यो ओलंपिक में रवि का अब तक का सफर

रवि कुमार पुरुषों के फ्रीस्टाइल 57 किग्रा वर्ग के फाइनल में पहुंच गए हैं. उन्होंने सेमीफाइनल मुकाबले में कजाखस्तान के नूरइस्लाम सनायेव को हराकर भारत के लिए रजत पदक पक्का कर लिया और फाइनल गोल्ड मेडल मुकाबले में जगह बना ली. रवि ने सेमीफाइनल मुकाबले में नूरइस्लाम को विक्ट्री बाई फॉल के माध्यम से 7-9 से हराया. इससे पहले रवि का प्री क्वार्टर फाइनल मुकाबला कोलंबिया के ऑस्कर टाइग्रेरोस से हुआ. इस मुकाबले में रवि ने कोलंबिया के पहलवान को 11-2 के बड़े अंतर से एक तरफा मात दी. प्री क्वार्टर फाइनल में शानदार जीत के बाद रवि का क्वार्टर फाइनल मुक़ाबला बुल्गारिया के जॉर्जी वांगेलोव के साथ हुआ. इस मुकाबले में भी उन्होंने 14-4 से बुल्गारिया के जॉर्जी वांगेलोव को आसानी से हरा दिया.

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रवि की अब तक की उपलब्धियां

  • रवि कुमार दहिया ने साल 2015 में जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर पदक जीता.
  • साल 2017 में हुई सीनियर नेशनल्स गेम्स में रवि दहिया ने शानदार प्रदर्शन किया और सेमीफाइनल में पहुंचे, लेकिन चोट के कारण उन्हें बाहर होना पड़ा.
  • रवि दहिया ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में एशियन चैंपियन रीज़ा अत्रीनाघारची को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया था.
  • साल 2018 में रवि दहिया ने अंडर 23 वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर पदक अपने नाम किया.

भारतीय समय अनुसार रवि कुमार दहिया का फाइनल मुकाबला आज दोपहर 2:45 पर होगा. इस गोल्ड मेडल मुकाबले में रवि रूस के पहलवान जवुर यूगेव से भिड़ेंगे. पूरे देश को उम्मीद है कि रवि आज स्वर्ण पदक लेकर ही वतन लौटेगा. रवि अगर आज स्वर्ण पदक जीते हैं तो वह रेसलिंग के इतिहास में भारत के लिए ओलंपिक में स्वर्ण पदक लाने वाले पहले रेसलर बनेंगे. रवि के फाइनल में पहुंचने की खबर के बाद से ही उनके गांव और हरियाणा में जश्न का माहौल है. उम्मीद यही है कि आज रवि अच्छा खेलें और भारत के लिए टोक्यो ओलंपिक 2020 का पहला स्वर्ण पदक जीते.

 

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