नई दिल्ली । टोक्यो ओलंपिक में पदकों की उपलब्धि में हरियाणा प्रदेश के खिलाड़ी अग्रणी रहे हैं. ओलंपिक में हरियाणा के खिलाड़ियों के शानदार प्रदर्शन और पदकों की उपलब्धि से राजकीय खेल प्रोत्साहन नीति चर्चा में है. इस कामयाबी से हरियाणा की खेल और खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने की नीति दूसरे राज्यों के लिए नजीर बन गई है. अब हरियाणा की नीती को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की मांग उठी है कि सांसद इसे संसद के मानसून सत्र में उठाएंगे.
ओलंपिक में भारतीय 127 में से 31 बार हरियाणा के खिलाड़ी रहे हैं. इन्होंने आठ विभिन्न खेल प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. पुरुष हॉकी टीम में हरियाणा के दो खिलाड़ी सुरेंद्र सिंह और सुमित कुमार हैं. इसके अलावा देश को मिला एकमात्र स्वर्ण पदक के भी हरियाणा के नीरज चोपड़ा ने भाला फेंक प्रतियोगिता में जीतकर दिया है. ऐसे में ओलंपिक में पदकों की इस उपलब्धि से हरियाणा के खेल प्रोत्साहन नीति दूसरे राज्यों के लिए भी उदाहरण और प्रेरक बनेगी.
हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का कहना है कि ओलंपिक की 6 व्यक्तिगत खेल प्रतिस्पर्धा में भारत ने पदक जीते हैं और इनमें से तीन में हरियाणा के खिलाड़ी जीते हैं. भाला फेंक प्रतियोगिता में नीरज चोपड़ा ने स्वर्ण, कुश्ती में रवि दहिया ने रजत, तो बजरंग पूनिया ने कांस्य पदक जीता है. पदकों की इस उपलब्धि में हरियाणा की खेल प्रोत्साहन नीति भी एक बड़ा कारण है. खेल नीती खिलाड़ियों को मौका देने के अलावा बेहतर प्रशिक्षण भी देती हैं. आर्थिक सहयोग भी देती है. दुष्यंत ने कहा कि नीरज चोपडा ने तो कमाल कर दिया है.
टोक्यो ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों के बेहतरीन प्रदर्शन के लिए पूरा देश उनका स्वागत कर रहा है. नीरज चोपड़ा ने तो भाला फेंक प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीतकर जहाँ देश का नाम रोशन किया है, वहीं हरियाणा के स्वर्णिम इतिहास को चार चाँद लगाए हैं. हरियाणा की खेल प्रोत्साहन नीति खिलाड़ियों के लिए काफी सार्थक साबित हो रही है. हरियाणा के खिलाड़ियों ने खेल प्रोत्साहन नीती का सदुपयोग किया है. हम चाहते हैं कि इस तरह की नीति केंद्रीय स्तर पर बने संसद के मानसून सत्र में हम इस विषय को अवश्य उठाएंगे.
डॉक्टर अरविंद शर्मा, सांसद, रोहतक
हरियाणा की खेल नीति ने निश्चित तौर पर खिलाड़ियों को प्रोत्साहित किया है. इसमें कोई दो राय नहीं है. खेलों को आगे बढ़ाने के लिए अब ऐसी नीति केंद्रीय स्तर पर भी बननी चाहिए. हम केंद्रीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर के समक्ष भी यह प्रस्ताव रखेंगे. केंद्र सरकार हरियाणा की खेल नीति को आगे बढ़ाती है. तो भी हरियाणा के खिलाड़ियों के लिए पहले से सरकार की नीती को यथावत रखा जाएगा.
किसे दी जाती है सरकारी नौकरी
हरियाणा में गत वर्ष खेल बजट में 202 फीसद की बढ़ोतरी की दर्ज की गयी है. ओलंपिक, पैरा ओलंपिक, यूथ ओलंपिक, चार वर्ष में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप, एशियन गेम्स, पैराएशियन, यूथ एशियन गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स, कॉमनवेल्थ गेम्स (पैरा एथलीट) के पदक विजेताओं को नकद राशि के अलावा सरकारी नौकरी भी दी जाती है.
खेल विभाग खिलाड़ी का खेल में उपलब्धि के आधार पर ग्रेड तय करता है. ए ग्रेड का खिलाड़ी हरियाणा में के सभी ग्रुप में नौकरी का योग होगा. C ग्रेड का खिलाड़ी हरियाणा में सभी सी डी ग्रुप की नौकरियों के लिए योग्य होगा. D ग्रेड का खिलाड़ी केवल D ग्रुप की नौकरियों के लिए योग्य होगा.
राज्य में 350 खेल नर्सरियों की संख्या एक हज़ार कर दी गई है. इनमें 500 कोच प्रशिक्षण देने जाते हैं. ओलंपिक में स्वर्ण पदक विजेता को 6 करोड़, रजत पदक विजेता को 4 करोड़ और कांस्य पदक विजेता को 2.5 करोड़ की नकद राशि देने के अलावा इस बार मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने चौथे नंबर पर रहने वालों को भी 50 लाख की नकद राशि देने का ऐलान किया है. खेल प्रोत्साहन के लिए इतनी बड़ी राशि देश में अन्य कोई राज्य नहीं देता.
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