चंडीगढ़ । हरियाणा विधानसभा की समितियों की सदस्यता मामले में आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से विधायक कुलदीप बिश्नोई द्वारा मीडिया में दिए गए बयान पर विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने संज्ञान लिया है. विस अध्यक्ष ने कहा कि कमेटियों की सदस्यता जाने की भनक लगते ही कुलदीप विश्नोई ऐसे पत्र मीडिया में वायरल कर रहे हैं जो कभी भेजे नहीं गए. कमेटियों में सिर्फ उन्हीं सदस्यों को हटाया जा रहा है, जो इन जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर रहे. ऐसा किसी के प्रति दुर्भावना के कारण नहीं अपितु कमेटी की बैठक में अनुशासन और कोरम के गणित को देखते हुए किया जा रहा है. लेकिन इस प्रकार की कार्रवाई से पहले विश्नोई ने मीडिया में जाके इस प्रकार की बयानबाजी शुरू की है. यह पूरी तरह गैरजिम्मेदाराना तथा सदस्यीय मर्यादाओं के विपरीत है.
विस अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि कुलदीप बिश्नोई ने तो एक जनप्रतिनिधि के तौर पर अपनी विधायी कामकाज संबंधित जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं और न ही संसदीय मर्यादाओं का पालन कर रहे हैं. इतना ही नहीं उनके बयान से स्पष्ट होता है कि शायद उन्हें विधानसभा के नियमों का भी ज्ञान नहीं है. कुलदीप बिश्नोई कमेटी की अध्यक्षता और सदस्यता के लिए वरिष्ठता और चार बार विधायक रहने का हवाला दे रहे हैं. जिसमें इनकार की बू आती है.
जब की उन्हें जानकारी होनी चाहिए कि ऐसा न तो कोई नियम है और न ही कोई भूतकाल में ऐसी कोई परंपरा रही है. लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी जनप्रतिनिधि सामान हैं और पहली बार चुनने वाला विधायक भी शीर्ष स्थान प्राप्त कर सकता है. यह सिर्फ कमिटी के मामले में ही अपितु पहली बार चुना जाने वाला जनप्रतिनिधि प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, सदन का अध्यक्ष भी बन सकता है. कुलदीप बिश्नोई को भी इन संवैधानिक व्यवस्था का सम्मान करना चाहिए.
बिश्नोई का यह दावा है कि उन्होंने पिछले साल ही लिखकर दे दिया था कि उन्हें 5 साल तक किसी भी विधानसभा कमेटी का सदस्य बनाया जाए. हालांकि ऐसा कोई पत्र विधानसभा सचिवालय के रिकॉर्ड मे कोई पत्र नहीं है. लेकिन बिश्नोई के वक्तव्य में यह अवश्य साबित हो गया कि उन्होंने चुनाव जीतते ही अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़ लिया था. जनता के वोट लेने के बाद उन्होंने जनसमस्याओं के प्रति कोई सरोकार नहीं रखा यह जगजाहिर है. कि एक विधायक विधानसभा समिति के सदस्य होते हुए अपने विधानसभा क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करवाने में काफी हद तक सफल रहते हैं. लेकिन कुलदीप बिश्नोई ने ऐसा कोई प्रयास नहीं किया.
ज्ञानचंद गुप्ता ने कहा कि कुलदीप बिश्नोई को अपने हलके की समस्याओं से ज्यादा और 10 हज़ार रुपये की चिंता है. जो समितियों की बैठकों में न आने के कारण उन्हें नहीं दिए गए. हरियाणा विधानसभा विधायक वेतन, भत्ते एवं पेंशन अधिनियम 1975 की धारा 3 के अनुसार विधायक पद की शपथ ग्रहण उपरांत अगर विधायक एक महीने में समिति की बैठक में 90 फीसदी कम हाजिर होता है तो उसे महीने का प्रतिपूरक भत्ता देय नहीं होता. विश्व बैठकों में बिना आए ही प्रतिपूरक भत्ता प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं और वे ब्याज समेत इससे स्पष्ट होता है कि उन्हें विधानसभा के नियमों का बिलकुल ज्ञान नहीं है.
गौरतलब है विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि कमेटियों की सदस्यता जाने की भनक लगते ही कुलदीप बिश्नोई ऐसे पत्र मीडिया में वायरल कर रहे हैं. जो कि कभी भेजे ही नहीं गए. कमेटियों से सिर्फ उन्हीं सदस्यों को हटाया जा रहा है जो इन जिम्मेदारियों को पूरा नहीं कर पा रहे.
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे! हरियाणा की ताज़ा खबरों के लिए अभी हमारे हरियाणा ताज़ा खबर व्हात्सप्प ग्रुप में जुड़े!