इस संन्यासी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर के 100 से ज्यादा पहलवान किए तैयार, रवि दहिया सहित 22 पहलवान जीत चुके हैं पदक

सोनीपत | गांव नाहरी में एक सन्यासी ऐसे भी हैं जिन्होंने बिना सुविधाओं वाले मिट्टी के अखाड़े से 22 पहलवान पैदा कर दिए जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन कर चुके हैं. आपको बता दें कि इस सन्यासी का नाम पहलवान हंसराज है. टोक्यो ओलंपिक में पहलवान रवि दहिया के सिल्वर मेडल जीतने के बाद चर्चा में आया सोनीपत का गांव नाहरी पहले से ही पहलवानों के लिए ख्याति अर्जित कर चुका है. रवि दहिया ने कुश्ती की शुरुआत पहलवान हंसराज के अखाड़े से ही की थी.

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महात्मा हंसराज ने दिल्ली में सरकारी नौकरी छोड़कर वर्ष 1996 में गांव में अखाड़ा शुरू किया था. वे अब तक 100 से ज्यादा पहलवान तैयार कर चुके हैं. सादगी, लगन, त्याग और निस्वार्थ सेवा का नाम है महात्मा हंसराज. हंसराज को पहलवानी का शुरू से ही शौक था. लेकिन उनके पशु व्यापारी पिता सुखदेव सिंह को उनका कुश्ती लड़ना अच्छा नहीं लगता था. वे इससे नाराज रहते थे. हंसराज दिल्ली जल बोर्ड में नौकरी करते थे.

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कुश्ती के दौरान उनके घुटने में चोट लगने से उनके पैर का ऑपरेशन हुआ. इसके कारण उनकी पहलवानी छूट गई. उनके मन में एक कसक रह गई कि वे देश का नाम नहीं चमका सके. इसीलिए उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़कर गांव के आर्य समाज मंदिर में अखाड़ा खोलकर पहलवान तैयार करने की ठानी. परिवार ने इसका विरोध किया लेकिन उन्होंने किसी की भी परवाह नहीं की. बाद में गांव वालों ने इनका विरोध किया तो उन्होंने नहर पर अखाड़ा शुरू किया.

हंसराज के पास उस समय कोई सुविधा नहीं थी. वे छोटे बच्चों को अभ्यास कराते और पहलवान की प्रतिभा पहचान कर 5 साल के बाद उसे आगामी ट्रेनिंग के लिए अपने गुरु महाबली सतपाल के पास दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में छोड़ आते हैं. किस साल में हंसराज 100 से ज्यादा पहलवान तैयार कर चुके है. जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है. इनमें से 22 पहलवानों ऐसे हैं जो राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय और ओलंपिक तक पहुंचे हैं. इनमें ओलंपियन व अर्जुन अवार्डी अमित दहिया , अरुण पाराशर, अरुण दहिया, पवन दहिया टोक्यो ओलंपिक के सिल्वर मेडलिस्ट रवि दहिया शामिल है.

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सन्यासी के लिए गांव से आता है खाना

महात्मा हंसराज के लिए दोनों समय गांव से ही खाना आता है. इसके अलावा उनके लिए फल, दूध आ जाता है. उनके पिता का निधन हो चुका है. करीब 84 वर्षीय उनकी मां कभी-कबार गांव से बेटे से मिलने आ जाती है. दिल्ली एमसीडी में कार्यरत उनके बड़े भाई भी उनसे मिलने आते हैं. हंसराज सप्ताह में 3 दिन सुबह के समय छत्रसाल स्टेडियम में अपने पहलवानों से मिलने जाते हैं.

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दोनों गांवों में तीन अर्जुन और एक ध्यानचंद अवार्डी

गांव नाहरी और हलालपुर में पहलवानों का बोल बाला है. गांव नाहरी में अर्जुन अवार्डी महावीर सिंह और अमित दहिया, ध्यानचंद अवार्डी सतबीर सिंह कुश्ती में देश का नाम रोशन कर चुके हैं. वहीं पड़ोसी गांव हलालपुर में अर्जुन अवार्डी रोहतास सिंह अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में देश का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. अब रवि दहिया ने ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतकर गांव नाहरी की परंपरा को कायम रखा है.

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