गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा की बिगड़ी तबीयत, इलाज़ के लिए चंडीगढ़ रैफर

पानीपत । ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता एथलीट नीरज चोपड़ा घर की दहलीज पर आकर न तो माता-पिता से मिल सके और न ही मां के हाथों का चूरमा खा सके. नीरज की तबीयत खराब होने और भीड़ ज्यादा होने के कारण उन्हें फौरन चंडीगढ़ रवाना होना पड़ा. नीरज को कई दिन से तेज बुखार आ रहा है और उनका इलाज चल रहा है. बुखार आने पर कोविड-19 की आशंका को दूर करने के लिए उनका कोरोना टेस्ट भी हुआ और राहत की बात रही कि रिपोर्ट निगेटिव आई है. 

Neeraj Chopra

मिली जानकारी के मुताबिक, नीरज चोपड़ा को डिहाइड्रेशन की समस्या हुई क्योंकि गर्मी में रोड शो करने के बाद गांव खंडरा में मंच पर पहुंचने के कुछ देर बाद ही उन्हें तबीयत खराब महसूस हुई. उन्होंने अपना संबोधन दिया और फिर मंच के पीछे के रास्ते से उन्हें उपायुक्त सुशील सारवान के साथ कार में चेकअप के लिए ले जाया गया. तबीयत ठीक होने पर वह तय कार्यक्रम के तहत चंडीगढ़ रवाना हो गए. 

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अपने संबोधन में नीरज चोपड़ा ने कहा कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है और मुझे गर्व है कि मैं अपने देश के लिए गोल्ड मेडल जीत पाया हूँ. उन्होंने कहा कि उन्हें आज अपने पानीपत में आकर बहुत अच्छा लग रहा है. नीरज ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चे जो खेल देख रहे हैं, वह खेल से प्रभावित होकर आगे खेलों की ओर रुख करेंगे. यह एक देश के लिए बहुत ही अच्छी बात है. 

मां के हाथों का चूरमा भी न खा सके चोपड़ा

मां सरोज चोपड़ा जब दिल्ली के अशोक होटल से लौटीं थी तो कहा था कि जब नीरज घर आएगा तो हाथ से बनाकर चूरमा खिलाऊंगी. पदक जीतने के 10 दिन बाद नीरज अपने गांव पहुंचे और 45 मिनट रुके भी लेकिन घर के अंदर तक नहीं जा सके. मां के हाथों का बना चूरमा नहीं खा सके. 

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पिता मेहमानों के स्वागत में लगे रहे 

वहीं नीरज के गांव आने की खुशी में 20 हजार मेहमानों के खाने का इंतजाम किया गया था. जब नीरज मंच पर थे, तब पिता घर में मेहमानों की आवभगत कर रहे थे, मिलना तो दूर बेटे को देख तक नहीं सके. 

अपने संबोधन में नीरज चोपड़ा ने कहा कि मेहनत ही सफलता की कुंजी है। मुझे गर्व है कि मैं अपने देश के लिए गोल्ड मेडल जीत पाया। उन्होंने कहा कि उन्हें आज अपने पानीपत में आकर बहुत अच्छा लग रहा है। नीरज ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चे जो खेल देख रहे हैं, वह खेल से प्रभावित होकर आगे खेलों की ओर रुख करेंगे। यह एक देश के लिए बहुत ही अच्छी बात है। मां सरोज चोपड़ा जब दिल्ली के अशोक होटल से लौटीं थी तो कहा था कि जब नीरज घर आएगा तो हाथ से बनाकर चूरमा खिलाऊंगी। पदक जीतने के 10 दिन बाद नीरज अपने गांव पहुंचे और 45 मिनट रुके भी लेकिन घर के अंदर तक नहीं जा सके। मां के हाथों का बना चूरमा नहीं खा सके। 

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गौरतलब है नीरज चोपड़ा की अचानक तबियत बिगड़ गई जिसके चलते उन्हें चंडीगढ़ भेज दिया गया है. बताया जा रहा है कि उनकी माँ ने उनके लिए चूरमा बनाने की तैयारी कर रखी थी लेकिन वो अपनी माँ के हाथों का चूरमा नहीं खा सके और उन्हें चंडीगढ़ के लिए रवाना कर दिया गया है. उनके पिता भी मेहमानों की आवभगत करने में लगातार लगे रहे, इस वजह से उन्होंने अपने बेटे नीरज चोपडा का स्वर्ण जीतने के बाद चेहरा तक नहीं देखा है.

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