श्राइन बोर्ड का बड़ा फैसला: मनसा देवी मंदिर पंचकूला में शॉर्ट्स पहनकर आने वालों को अब No Entry

पंचकूला । ऐतिहासिक मां मनसा देवी मंदिर प्रबंधन बोर्ड ने एक फैसला लेते हुए कहा है कि आगे से पूजा-पाठ के लिए मंदिर में छोटे कपड़े पहनकर आने वालों को एंट्री नहीं दी जाएगी. मंदिर बोर्ड की सचिव शारदा प्रजापति ने बताया कि कई श्रद्धालुओं की ओर से लगातार शिकायतें मिल रही थी जिसके चलते यह निर्णय लिया गया है. धर्म की संस्कृति और मर्यादा का पालन करवाने के हित में यह निर्णय लिया गया है.

Ram Mandir
शारदा प्रजापति ने कहा कि बच्चों में संस्कार रुपी गुण भरने के लिए अब शॉर्ट कपड़े , जींस आदि पहनकर आने वालों के लिए मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं होगी. जिन लोगों की यह सोच है कि छोटे कपड़ों से कोई फर्क नहीं पड़ता,शायद उन्हें फर्क नहीं पड़ता होगा लेकिन मंदिर में जो दूसरे श्रद्धालु आते हैं , उन्हें छोटे कपड़ों से आपत्ति होती है. शारदा प्रजापति ने कहा कि कुछ लोगों की तरफ से लगातार शिकायतें प्राप्त हो रही थी कि मंदिर में मर्यादाओं का पालन होना चाहिए. गुरुद्वारों में तो सिर भी ढक कर जाना होता है और मंदिरों में छोटे कपड़े पहनकर आते हैं. उन्होंने युवाओं से आग्रह किया है कि वे मंदिर में छोटे कपड़े पहनकर ना आएं.

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मनसा देवी मंदिर का इतिहास

माता मनसा देवी का इतिहास उतना ही पुराना है जितना कि अन्य सिद्ध शक्तिपीठों का है. इस मंदिर का निर्माण मनीमाजरा के राजा गोपालसिंह ने अपनी मनोकामना पूर्ण होने की खुशी में सन् 1815 में करवाया था. मुख्य मंदिर में माता की मूर्ति स्थापित है और मूर्ति के सामने तीन पिडियां है, जिन्हें मां का ही रुप माना जाता है. ये तीनों पिडियां महालक्ष्मी, मनसा देवी तथा सरस्वती देवी के नाम से प्रसिद्ध है. मंदिर की परिक्रमा पर शिवलिंग, हनुमान, गणेश, वैष्णव देवी एवं भैरव की मूर्तियां स्थापित हैं. 9 सितंबर 1991 को हरियाणा सरकार ने मनसा देवी परिसर को माता मनसा देवी पूजा स्थल बोर्ड का गठन करके इसे अपने अधीन लें लिया था।

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फैसले पर प्रतिक्रिया

बोर्ड के इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए मंदिर आई एक युवती ने कहा कि कपड़ों से नहीं बल्कि संस्कृति से पता चलता है कि आपके मन में कितनी श्रद्धा है. इस तरह के बेतुके फैसले का कोई औचित्य नहीं है. मंदिर प्रबंधन स्पष्ट करें कि युवाओं को मंदिर में बुलाना चाहता है या रोकना चाहता है.
वहीं एक अन्य श्रद्धालू संदीप बताते हैं कि मन में श्रद्धा होती है. सभी उंगलियां बराबर नहीं होती है. मर्यादा में रहकर ही मंदिर में ठीक कपड़े पहनकर ही आना चाहिए.

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