Raksha Bandhan 2021: आज भाई-बहन के प्रेम भरे रिश्ते का प्रतीक रक्षाबंधन का त्यौहार है. इस दिन बहन अपने भाई की कलाई में रक्षासूत्र (राखी) बांधती है, वही भाई अपनी बहन को गिफ्ट, चॉकलेट और आजीवन उसकी रक्षा करने का वचन देता है. हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार सबसे पहले देवी लक्ष्मी ने राजा बली को राखी बांधकर अपना भाई बना लिया था.
पंचांग के अनुसार इस दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है. इस तिथि को श्रावण पूर्णिमा या कजरी पूनम भी कहते हैं. इसी तिथि में रक्षाबंधन का पवित्र पर्व मनाया जाएगा. हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शुभ समय में ही मांगलिक कार्य करने चाहिए. जो व्यक्ति शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर कार्य करता है, उसे सफलता मिलने की संभावना अधिक रहती है.
राखी बांधने का मुहूर्त:
हिंदू मुहूर्त शास्त्रों में भद्रा और राहुकाल को अशुभ माना जाता है इसलिए इस दौरान राखी बांधने से बचना चाहिए. इस बार रक्षाबंधन के पर्व के दिन भद्रा का साया नहीं है. पूरे दिन कभी भी बहन अपने भाई को राखी बांध सकती है.
राखी बांधने का समय – सुबह 06:15 से शाम 05:31 बजे तक
राखी बांधने का सबसे शुभ मुहूर्त – दोपहर 01:42 से शाम 04:18 बजे तक
राखी वाले दिन भद्रा अंत का समय – 06:15 AM
रक्षाबंधन बांधने की सही विधि
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार राखी बंधवाते समय भाई का मुख पूरब दिशा में और बहन का पश्चिम दिशा में होना चाहिए. सबसे पहले बहनें अपने भाई को रोली, अक्षत का टीका लगाएं. घी के दीपक से आरती उतारें, उसके बाद मिष्ठान खिलाकर भाई के दाहिने कलाई पर राखी बांधें.
रक्षासूत्र बांधते समय बोलें ये मंत्र
येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।
तेन त्वां अभिबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।
अर्थ – जिस तरह महालक्ष्मी ने एक धागे से असुरराज बलि को बांध दिया था, उसी तरह का धागा मैं मेरे भाई को बांधती हूं. भगवान मेरे भाई की रक्षा करें. यह धागा कभी टूटे नहीं और आप हमेशा सुरक्षित रहें.
रक्षाबंधन 2021 पर बन रहा है महासंयोग
साल 2021 का रक्षाबंधन चार विशिष्ट योगों से परिपूर्ण है. यह महा योग पूरे 50 साल बाद बन रहा है. 50 साल बाद रक्षा बंधन के पर्व पर सर्वार्थसिद्धि, कल्याणक, महामंगल और प्रीति योग एक साथ बन रहें हैं. इसके पहले यह संयोग 1981 में एक साथ बने थे. इन चारों महा योगों से इस साल के रक्षाबंधन का महात्म्य बहुत अधिक बढ़ गया है. इस अद्भुत योग के मध्य भाई और बहन के लिए रक्षा बंधन की रस्म अति विशेष कल्याणकारी होगी.
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