चंडीगढ़ । आमतौर पर स्कूल में गणित विषय से अधिकतर विद्यार्थियों काे डर लगता है. जिसका मुख्य कारण है कि उनको गणित के फार्मूले समझ में नहीं आते. ऐसे में वे गणित पढ़ने से बचना चाहते हैं और दसवीं के बाद इस विषय काे छोड़ देते हैं. परंतु अगर ऐसा कोई शिक्षक हो जो खेल-खेल में ही गणित के फार्मूले सिखा दे और विद्यार्थियों को समझ में भी आ जाए तो गणित को कौन नहीं पढ़ना चाहेगा. हम बात कर रहें है एक ऐसी ही सरकारी शिक्षिका ममता पालीवाल की जिन्हाेंने खुद के फार्मूले बनाए और खेल- खेल में ही बच्चों को गणित ऐसे सिखा दिया कि उनके पढ़ाए बच्चों को इससे आसान विषय दूसरा नहीं लगता.
31 वर्षीय ममता पालीवाल भिवानी के राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में प्रवक्ता हैं. उन्हें गणित के क्षेत्र में आईसीटी तकनीक के प्रयोग करने व गणित के व्यवहारिक प्रयोग के अध्ययन के लिए इस पांच सितंबर को राष्ट्रीय शिक्षक अवॉर्ड भी मिला है. इस साल हरियाणा से राष्ट्रीय शिक्षक अवॉर्ड से सम्मानित होने वाली वे अकेली शिक्षिका हैं.
कोरोना काल में खुद का यूटयूब चैनल बनाया हरिभूमि से बातचीत में ममता पालीवाल ने बताया कि जब मेरे बच्चे पढ़ने बैठते थे तो वे खेल में लग जाते थे. यहीं से मुझे आइडिया आया कि क्यों ना खेलते- खेलते बच्चों को पढ़ाया जाए. इसी तर्ज पर मैनें खुद इस प्रकार के गेम्स बनाए हैं कि बच्चे खेलते भी रहें और पढ़ते भी रहें. बच्चे खेल- खेल में जल्दी सीख जाते हैं, इसलिए मैनें मैथ पढ़ाने के लिए गेम्स की पद्धति को अपनाया, कई प्रकार के गेम्स खुद बनाए, जिसमें बच्चों ने काफी रूचि ली.
बच्चे जो गेम्स खेलते हैं उनसे उन्हें कैसे गणित समझाया जाए यह सोचकर ही ऐसे गेम्स डिजाइन किए गए हैं जिनसे बच्चों को मैथ के फार्मूले जल्दी समझ में आ जाते हैं. कोरोना काल में बच्चों ने ज्यादातर समय मोबाइल पर बिताया है इसी को देखते हुए ऐसे साफ्टवेयर गेम्स डिजाइन किए गए जिनसे बच्चे पढ़ाई के साथ जुड़े रहें. कोरोना काल में भी मैनें बच्चों को पढ़ाने के लिए खुद का यूटयूब चैनल बनाया. हर कक्षा के नोटस बनाकर बच्चों तक पहुंचाए. ई-लर्निंग ऐप और टेलीविजन पर भी मेरे बनाए हुए वीडियाे चले हैं.
बच्चों को समझाना सभी अध्यापकों का फर्ज
ममता पालीवाल ने कहा कि ये सभी अध्यापकाें का फर्ज बनता है वे जो पढ़ा रहे हैं वो सभी बच्चों को समझ में आए. बच्चों को सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं देना चाहिए. जब तक बच्चों को समझ में नहीं आता तब तक अध्यापकों काे उन्हें पढ़ाने के लिए अलग- अलग तरीके अपनाने चाहिएं. हम सभी शिक्षकों का फर्ज बनता है कि हम अपना काम ईमानदारी से करे.
कई शिक्षक लीग से हटकर भी बच्चों को पढ़ाते हैं. मैँं बच्चों को डराकर पढ़ाने में यकीन नहीं करती. बच्चे डर के मारे पढ़ तो लेंगे पर अगर उन्हें प्यार से समझाएंगे तब वे बहुत अच्छे से पढ़ाई कर पाएंगे. मेरे लिए मेरे विद्यार्थी मेरे परिवार से भी बढकर हैं. इनके लिए मैं जितना भी कर पाऊं वो कम है. मेरी आत्मा की आवाज सुनकर मैं इन विद्यार्थियों के लिए कुछ स्पेशल करने के प्रयास में लगी रहती हूं.
गौरतलब है इस पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भिवानी की शिक्षिका ममता पालीवाल को राष्ट्रीय शिक्षक अवॉर्ड देकर सम्मानित किया. इस साल यह अवार्ड हरियाणा से केवल इनको मिला है.
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