यमुनानगर । जूनियर बेसिक टीचर (JBT) का कोर्स कर अध्यापक बनने का सपना संजोए बैठे लाखों युवाओं की उम्मीदों को हरियाणा सरकार ने बड़ा झटका दिया है. हरियाणा के शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट कर दिया है कि फिलहाल नई जेबीटी भर्ती की कोई संभावना नहीं है. प्रदेश के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर ने एक बयान में कहा है कि प्रदेश में इस समय 2260 जेबीटी शिक्षक सरप्लस हैं. भविष्य में यदि जरूरत होती है तो नई भर्ती पर विचार किया जा सकता है लेकिन नई शिक्षा नीति में जेबीटी शिक्षकों की जरूरत नहीं है.
बता दें कि हरियाणा सरकार ने पहले सरकारी कॉलेजों और फिर इस साल से प्राइवेट कॉलेजों में जेबीटी कोर्स बंद करने का फैसला लिया है. कोर्स बंद करने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पिछले आठ सालों से जेबीटी भर्ती न होने के चलते यह फैसला लिया गया है. जेबीटी कोर्स के बाद पात्रता परीक्षा पास कर चुके युवाओं के बारे में शिक्षा मंत्री ने कहा कि उनके लिए विचार किया जा रहा है कि किसी अन्य कोर्स के तहत उनको कही एडजस्ट किया जा सके.
लाखों युवाओं के भविष्य पर लटकी तलवार
सरकार के इस फैसले से निश्चित तौर पर अध्यापक बनने का सपना देख रहे युवाओं के भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं. बता दें कि हरियाणा में 70 हजार से ऊपर युवा जेबीटी कोर्स के बाद पात्रता परीक्षा पास कर चुके हैं और 2 लाख के करीब युवाओं ने जेबीटी कोर्स किया हुआ है. अब बड़ा सवाल यह उठता है कि जब सरकार को नई भर्ती ही नहीं करनी है तो क्यूं सैकड़ों प्राइवेट कालेजों को मान्यता देकर वहां जेबीटी कोर्स करवाए जा रहे हैं. इन कालेजों में कोर्स करने के लिए हजारों युवाओं ने एक से डेढ़ लाख रुपए तक फीस का भुगतान किया हुआ है.
एक तरफ तो सरकार प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के बड़े-बड़े दावे करती है वहीं दूसरी ओर नए शिक्षकों की भर्ती न करने की बात करती है. पहले से ही बेरोजगारी की मार झेल रहे युवाओं को सरकार के इस फैसले ने दोहरी चोट देने का काम किया है. प्रदेश में लाखों की संख्या में जेबीटी कोर्स किए बैठे युवाओं के सामने अब बड़ा संकट खड़ा हो गया है कि वे करें भी तो क्या करें, आखिर उनका कसूर क्या है.
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