अंबाला । सालों पुराना अंबाला एयरफोर्स देश की सीमाओं का सच्चे मायने में पहरेदार है. बता दें कि यहां से पाकिस्तान और चीन की सीमाओं की निगरानी होती है. साथ ही दुश्मनों की हर हरकत पर नजर रखी जाती है. अंबाला एयरबेस की चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध में अहम भूमिका थी. बालाकोट एयर स्ट्राइक हो या कोई अभियान इनमें एयरबेस ने शानदार काम किया. अब राफेल जैसे लड़ाकू विमान के आ जाने से यह दुश्मनों के लिए और भी घातक हो गया है. बता दे कि अंबाला एयरबेस की शुरुआत अंग्रेजों ने 102 साल पहले की थी. अब यह भारत के सामरिक रणनीति में बेहद अहम हो गया है. अब यह थल सेना की सिख लाइट इन्फेंट्री के साथ मिलकर सैन्य अभियानों व अन्य कामों में ग्रुप से काम करेगी. ऐसे में राफेल की स्क्वाड्रन और घातक साबित होगी. राफेल की 17 स्कवाड्रन गोल्डन एरो और थल सेना के सिख की एलआइ एफीलिएशन काफी महत्वपूर्ण है.
जानिए अंबाला एयरबेस का इतिहास
- वर्ष 1919 में अंबाला एयरफोर्स स्टेशन पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) बनाया गया, इस दौरान डीएच-9 व ब्रिस्टर फाइटर एयरक्राफ्ट ने आपरेट किया.
- प्रथम विश्व युद्ध के दौरान तत्कालीन रॉयल एयरफोर्स की 99 स्कवाड्रन ने सितंबर 1919 तथा स्कवाड्रन 114 ने नवंबर 1919 में कैंप अंबाला से आपरेट किया था.
- 1 अप्रैल 1938 को स्टेशन हैडक्वार्टर की स्थापना अंबाला में हुई, जबकि 28 स्कवाड्रन यहां तैनात की गई, विंग कमांडर सीएफ हॉर्सले पहले कमांडिंग आफिसर थे.
- 15 अप्रैल 1958 को एयर कमोडोर अर्जन सिंह ने वैंपायर जहाज लैंड कर रन-वे का शुभारंभ किया.
- 1954 में अंबाला एयरफोर्स स्टेशर पर 7 विंग की स्थापना हुई.
- अंबाला वायुसेना स्टेशन से 60 के दशक में नैट, हंटर, मिस्ट्र, तूफानी और वैंपायर एयरक्राफ्ट ने आपरेट किया.
- भारत-पाक युद्ध के दौरान 18 व 20 सितंबर 1965 में अंबाला एयरबेस पर हमला करने के लिए पाक लड़ाकू जहाज अंबाला तक पहुंचे.
- – भारत-पाक 1971 में हुए युद्ध के दौरान पाकिस्तान ने अंबाला एयरबेस पर 3 व 4 दिसंबर को हमला किया. अंबाला एयरबेस से छह किलोमीटर दूर शाहपुर गांव में बम गिराया.
- – भारत-पाक 1971 के दौरान 32 स्कवाड्रन के विंग कमांडर एचएस मांगट अंबाला एयरबेस से अमृतसर रवाना हुए.
- 27 जुलाई 1979 काे पहला जगुआर, जिसे विंग कमांडर डीआर नाडकर्णी ने उड़ाया था, को अंबाला एयरबेस पर यूनाइटेड किंगडम से लाया गया.इसे तत्कालीन एयर कमोडोर एमएस बावा, जिन्हें हीरो आफ लौंगेवाला के नाम से भी जाना जाता है, ने इसी रिसीव किया था.
- वर्ष 2019 में 17 स्कवाड्रन गोल्डन एरो की स्थापना हुई, जिसको राफेल की कमान सौंपी गई है.