हरियाणा में नवंबर के अंत तक होगा एनीमिया का सर्वे, बीमारी से बचने के खोजे जाएंगे उपाय

गुड़गांव | हरियाणा राज्य में एनीमिया बीमारी की स्तिथि के बारे में जानने के लिए सर्वेक्षण किया जाएगा . यह सर्वेक्षण गांव और शहरी लोगो के बीच किया जाएगा.इसका उद्देश्य एनीमिया के पीड़ितों से परामर्श कर उनका उपचार और उनके बीच जागरूकता को बढ़ाना है ताकि इस बीमारी से वह स्वयं का भी बचाव कर सकें और अपने परिचितों को भी सलाह दें इस बीमारी से बचने के लिए और हरियाणा एक एनीमिया रोग मुक्त प्रदेश बन सके .

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हरियाणा नवंबर के अंत में एनीमिया की व्यापकता का आकलन करने के लिए एक सप्ताह का सर्वेक्षण करेगा. जिसका मुख्य उद्देश्य एनीमिया से पीड़ित हल्के मध्यम व गंभीर मरीजों से परामर्श कर उनका उपचार करना है. क्रॉस-सेक्शनल सर्वेक्षण प्रत्येक जिले में 60 समूहों – 40 ग्रामीण और 20 शहरी – में आयोजित किया जाएगा. चूंकि गुड़गांव और फरीदाबाद में शहरी जनसंख्या अधिक है, अनुपात उलटा होगा, यानी 40 शहरी होंगे और 20 ग्रामीण होंगे. इस सर्वे में 22 जिलों में से 3000 सैंपल एकत्र किए जाएंगे और कुल 66,000 नमूने होगे.

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5 श्रेणियों में होगा सर्वे

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक एनीमिया सर्वे को पांच श्रेणियों में वर्गीकृत किया जाएगा शिशु (छह महीने से 5 वर्ष के बीच), पांच से नौ वर्ष की आयु के बच्चे, किशोर (10 से 19 वर्ष की आयु), प्रजनन आयु वर्ग की महिलाएं (20-24 वर्ष), और गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाएं. जबकि पहली दो श्रेणियों में प्रत्येक में 10 नमूने लिए जाएंगे, तीसरे में 14 और अंतिम दो में आठ-आठ नमूने लिए जाएंगे.

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एनीमिया मुक्त हरियाणा बनाने का प्रयास

गुड़गांव के मुख्य चिकित्सा अधिकारी वीरेंद्र यादव ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग पात्र विषयों की सूची उनके संपर्क विवरण के साथ तैयार कर रहा है. जहां सर्वे नवंबर के अंतिम सप्ताह में शुरू होगा, वहीं प्रशिक्षण पहले सप्ताह में शुरू होगा. नमूने लेने के अलावा, एक टीम पॉइंट-ऑफ-केयर उपचार और आहार परामर्श भी प्रदान करेगी. लैब में हीमोग्लोबिन की जांच की जाएगी. जो लोग एनीमिक हैं उन्हें ‘एनीमिया मुक्त भारत’ के दिशा-निर्देशों के अनुसार इलाज दिया जाएगा. हमारी टीम लोगों को आयरन- और प्रोटीन युक्त आहार, डीवर्मिंग और इष्टतम शारीरिक गतिविधि के महत्व के बारे में भी जागरूक करेगी.

जाने क्या है एनीमिया

ब्लड से संबंधित बीमारी को एनीमिया कहते हैं. हीमोग्लोबिन की कमी से नसों में ऑक्सीजन का प्रवाह कम होने लगता है। नसों में ऑक्सीजन (Oxygen) के प्रवाह की कमी होने के कारण एनीमिया की समस्या होने लगती है। इसकी वजह से ब्लड (Blood) में इसकी कमी हो जाती है और शरीर को जरूरी ऊर्जा भी नहीं मिल पाता है

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जानकारी के लिए बता दें कि इस तरह का पिछला सर्वेक्षण 2016 में नेशनल फैमिली एंड हेल्थकेयर द्वारा किया गया था. उस अध्ययन के अनुसार, हरियाणा में, छह महीने से चार साल की उम्र के लगभग 72% बच्चे एनीमिक थे और 62.7% महिलाओं में आयरन की कमी थी. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2020 में हरियाणा को 46.7 अंकों के साथ एनीमिया मुक्त भारत की लिस्ट में सबसे शीर्ष पर रखा गया है.

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