अरावली वन भूमि: हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा- अवैध निर्माण हटाने का आदेश क्षमता में नही

गुरुग्राम ।  भूमि के अवैध निर्माण हटाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का पालन करने में सरकार ने हाथ खड़े कर दिए हैं राज्य सरकार ने शुक्रवार को शीर्ष अदालत में हलफनामा दाखिल कर बताया कि आदेश का पालन किया गया तो गुरुग्राम, फरीदाबाद और अंबाला सहित 11 जिलों में स्कूलों कॉलेजों सरकारी कार्यालय और आवासीय भवनों सहित अन्य इमारतों को ध्वस्त करना पड़ेगा इससे कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या होगी, यह हमारी क्षमता से बाहर है.

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राज्य सरकार ने शुक्रवार को चेतावनी देते हुए कहा कि गुरुग्राम और फरीदाबाद सहित हरियाणा के 11 जिलों में हर इमारत को ध्वस्त करना होगा, अगर अधिकारियों को 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुसार “वन भूमि” से सभी संरचनाओं को हटाना होगा कि इस तरह की कवायद “गंभीर और अद्वितीय कानून-व्यवस्था की समस्या” पैदा कर सकती है. 17,39,907 हेक्टेयर जमीन है पीएलपीए के तहत  इस अधिसूचित भूमि में  गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल, अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर, रेवाड़ी, भिवानी, चरखी दादरी, महेंद्रगढ़ और मेवात शामिल हैं. भूमि संरक्षण अधिनियम के तहत जमीन वन भूमि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 के फैसले में कहा था कि पंजाब भूमि संरक्षण अधिनियम (पीएलपीए), 1900 के तहत आने वाली जमीन को वन भूमि माना जाएगा. इस तर्क के आधार पर ही कोर्ट ने 2018 में फरीदाबाद में आवासीय कॉलोनी कांत एन्क्लेव में सभी इमारतों को गिराने का आदेश दिया था.

अरावली वन भूमि पर स्थित सभी अनधिकृत संरचनाओं को ढहाने के सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हरियाणा ने कहा है कि सितंबर 2018 के फैसले और 23 जुलाई के आदेश के अनुसार, पीएलपीए की विभिन्न धाराओं के तहत अधिसूचित सभी क्षेत्र वन भूमि हैं. पीएलपीए के तहत शामिल भूमि में सरकारी और निजी भूमि और ढांचे शामिल हैं. राज्य सरकार ने कहा कि यह भूमि पर लोगों के सांविधानिक अधिकारों से जुड़ा प्रासंगिक मुद्दा भी है क्योंकि ये निर्माण कानून के अनुसार अपेक्षित अनुमति लेने के बाद किए गए हैं.

हल्फनामे के लिए मांगा जवाब

खोरी गांव के निवासियों और संपत्तियों के मालिकों की ओर से पेश वकीलों ने राज्य सरकार के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए पीठ से समय मांगा, पीठ ने उन्हें जवाब दाखिल करने के लिए समय देते हुए सुनवाई 15 नवंबर तक के लिए टाल दी.

एक बस्ती को किया ध्वस्त, बड़े निर्माणों पर अभी असमंजस

खोरी गांव में 129 फार्महाउस, बैंक्वेट हॉल, स्कूलों, धार्मिक स्थलों को ध्वस्त करने का मामला अभी बाकी है. इन्हीं को लेकर हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखा है.प्रशासन ने खोरी गांव की एक बस्ती को ध्वस्त कर दिया और साथ ही बाकी के मालिकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया था. कई ने दावा किया था कि उनकी संपत्ति वन क्षेत्र के बाहर है.हरियाणा सरकार का यही कहना है कि यदि अरावली वन भूमि के अवैध निर्माण को हटाया गया तो इससे भारी क्षति पहुंचेगी.

 

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