सिरसा | ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले कई गांव राजस्थान से पानी मंगाते हैं. राजस्थान की सीमा पर स्थित गुसाईंवाला, कागदाना, कुम्हरिया और जोर्कियां सहित इनमें से कुछ गांवों में लोगों की मुख्य चिंता अभी भी पर्याप्त पेयजल प्राप्त करना है. लगभग हर घर में एक ‘कुंड’ (भूमिगत पानी की टंकी) है. जिसमें वे राजस्थान से आने वाले पानी के टैंकरों से खरीदे गए पानी को स्टोर करते हैं.
ऐलनाबाद उपचुनाव लड़ने वाले किसी भी उम्मीदवार ने अपने चुनावी वादों में इन गांवों में पीने के पानी की कमी की इस बुनियादी समस्या का उल्लेख नहीं किया है. प्रदेश सरकार की ओर से लोगों की सुविधाओं के लिए लंबे-चौड़े दावे किए जाते हैं. चुनावों के समय सरकार इनका प्रचार – प्रसार भी करती है कि उसने किस क्षेत्र में लोगों की भलाई के लिए क्या-क्या कार्य किए.
तमाम दांवे सिरसा क्षेत्र में काम करवाने को लेकर सरकार की तरफ से शायद अबकी बार भी किए जा सकते हैं लेकिन दावों से इतर राजस्थान की सीमा से सटे ऐलनाबाद के कई गांवों और ढाणियों में आज तक न ही खेतों में फसलों की सिंचाई के लिए न तो पीने लायक पानी पहुंच पाया है.
ग्रामीण कर रहे 1,000 रुपये प्रति टैंकर तक का भुगतान
ग्रामीणों को एक पानी के टैंकर के लिए लगभग 1,000 रुपये खर्च करने पड़ते हैं. यह राशि गर्मी के मौसम में चरम पर 2,000 रुपये तक बढ़ जाती है. उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से किसी भी राजनीतिक दल ने पीने के पानी की समस्या को हल करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है. वे सभी चुनाव लड़ रहे हैं जो केवल मूछों की लड़ाई (अपने अहंकार के लिए लड़ाई) के लिए हैं. किसी ने भी इन बुनियादी मुद्दों पर कभी ध्यान नहीं दिया.
गुसाईंवाला गांव से सटे राजस्थान के क्षेत्र में पड़ने वाले क्षेत्र में अपने खेतों में स्थित एक छोटे से गांव में रहने वाले राजबीर सिंह खोड़ ने बताया कि वह इन गांवों में राजस्थान से पानी सप्लाई करते रहे हैं. पानी के टैंकर मालिकों का कहना है कि वह जितना संभव हो उतना कम शुल्क लेने की कोशिश करते हैं. डीजल की ऊंची कीमत के कारण, ग्रामीणों से पानी की बिक्री के लिए प्राप्त राशि का बड़ा हिस्सा केवल ईंधन पर खर्च किया जाता है. वास्तव में इस तरह से पैसा नहीं कमाना चाहते हैं, लेकिन ग्रामीणों की मांग के कारण इसे रोक नहीं सकते हैं.
पानी की समस्या नही हो रही समाप्त
दोनों प्रदेश के बार्डर पर बसे कई गांवों के लोग दो हजार रुपये में पानी का टैंकर मंगवा प्यास बुझाने को मजबूर हैं. यह टैंकर भी दो हजार रुपये का तब है जब इसे राजस्थान से मंगवाया जाता है. अगर इसे प्रदेश के ही किसी अन्य हिस्से से मंगवाया जाए तो शायद इससे भी महंगा ही मिले. ऐसा नहीं है कि ग्रामीणों ने अपनी इस मांग को लेकर कुछ किया नहीं. पानी की मांग को लेकर करीब 135 दिनों से उनका शेरांवाली भाखड़ा नहर व घग्गर नदी की फ्लड़ी नहर के किनारों पर गांव मिठनपुरा से आगे अनिश्चितकालीन धरना चल रहा है. अपनी इस समस्या को लेकर ग्रामीणों के लिए उपचुनाव एक उम्मीद बनकर नजर आए हैं.
मतदान से पहले ही क्षेत्र के लोगों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाना शुरू कर दिया है. ग्रामीणों ने शीघ्र ही धरनास्थल पर बैठक कर चुनाव के लिए अपनी रणनीति तय करने का निर्णय लिया है. राजस्थान की सीमा के साथ सटे गांव मिठनपुरा, किशनपुरा, ढाणी शेरां, कर्मशाना, खारी सुरेरां व 300 से अधिक ढाणियों की बात करें तो ग्रामीण पानी के लिए पिछले कई वर्षों से संघर्षरत हैं. परंतु उनकी यह समस्या आज तक किसी भी सरकार ने नहीं सुलझाया है.
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