पंचकूला । किसानों और खेती से जुड़े तमाम विवादों के समाधान बारे हरियाणा सरकार एक महत्वपूर्ण फैसला लेने जा रही है. अपने शासनकाल के 7 वर्ष पूरे होने पर हरियाणा की मनोहर सरकार हर जिले में कृषि अदालतें खोलने की घोषणा कर सकती हैं. इन कृषि अदालतों के प्रारुप और स्वरुप पर शीर्ष अधिकारी मंथन कर रहे हैं. इन कृषि अदालतों के खुलने से फसल बीमा कंपनियों की मनमानी, भुगतान में देरी तथा समय पर मुआवजा न मिलने जैसे तमाम तरह के विवादों को चुनौती दी जा सकेगी. प्रदेश सरकार ने इसके पीछे तर्क दिया है कि कृषि अदालतें खुलने से किसानों से जुड़े विवादों का निपटारा करने में तेजी आएगी.
इन कृषि अदालतों की जिम्मेदारी आईएएस अधिकारीयों , एचसीएस या कृषि विभाग के अफसरों को सौंपी जाएं, इस पर अंतिम निर्णय लिया जाना अभी बाकी है. इसके अलावा मनोहर सरकार ने मधुमक्खी पालन को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य में शहद व्यापार केंद्र बनाने की योजना बनाई है.
इसके अलावा प्रगतिशील किसानों को प्रोत्साहित करने के साथ ही उन्हें किसान मित्र बनाने की भी जिम्मेदारी सौंपी जा रही है.एक प्रगतिशील किसान 10 नए किसानों को प्रशिक्षण देकर उन्हें अपने जैसा बनाएगा, जबकि एक प्रगतिशील किसान को 100 किसानों के साथ मित्रता बढ़ाने की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी. किसान मित्र के नाते प्रगतिशील किसान सामान्य किसानों को फसल व वित्तीय प्रबंधन की जानकारी देंगे, ताकि कम लागत में अधिक मुनाफा कमाया जा सके.
प्रदेश सरकार द्वारा फसल उत्पादक संगठन (एफपीओ) गठित करने पर फोकस किया हुआ है. अभी तक 486 एफपीओ गठित किए जा चुके हैं , जिनसे 76,855 किसान जुड़े हुए हैं.सरकार का लक्ष्य इस आंकड़े को बढ़ाकर एक हजार तक लेकर जाने का है.
बता दें कि 27 अक्टूबर को बीजेपी सरकार अपने शासनकाल के 7 वर्ष पूरे करने जा रही है. इन सात वर्षों की सात प्रमुख योजनाएं लेकर हरियाणा सरकार के मंत्री लोगों के बीच जा रहें हैं. हालांकि मनोहर सरकार के पास गिनाने के लिए 132 कामों की लंबी फेहरिस्त है लेकिन उन्हीं फैसलों पर ज्यादा फोकस किया गया है जो सीधे लोगों के हितों से जुड़े हुए हैं.
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