कुरुक्षेत्र । पिछले साल सरसों की फसल से वारे न्यारे होने से उत्साहित होकर किसान इस बार भी गेहूं से अधिक सरसों की बिजाई कर रहे है. बता दे कि अबकी बार इलाके में गेहूं का रकबा कम और सरसों का रकबा बढ़ने जा रहा है. ऐसा पिछले 3 दशको में पहली बार होने जा रहा है. किसान यकायक दलहन की फसल बो रहे है जिससे किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी हो रही है.
सरसो की फसल किसानों को करेगी मालामाल
वहीं दूसरी और भूमि की उर्वरा शक्ति में भी इजाफा हो रहा है. इस बदलाव को लेकर कृषि एवं किसान कल्याण विभाग भी काफी उत्साहित है. बता दें कि पिछले साल सरसों की फसल की इस कदर बिक्री हुई कि सरकार के समर्थन मूल्य से अधिक दाम प्राइवेट खरीददारों ने दिए. बता दे कि कुछ फीसदी किसान ही सरकारी मूल्य पर सरसों बेच पाए. अधिकांश किसानों ने प्राइवेट खरीदारों को करीब साडे ₹6000 प्रति क्विंटल के हिसाब से सरसों बेची. वही सरकारी भाव केवल ₹4650 था. किसानों ने 70 से 80000 तक की आमदनी प्रति एकड़ हासिल की.
इसी को देखते हुए अब की बार किसानों का रुझान गेहूं की बजाय सरसों पर अधिक है. बता दे कि सरकार ने कहा कि गेहूं की बिजाई 15 नवंबर से की जानी चाहिए, जबकि सरसों की बिजाई पर किसी प्रकार की कोई रोक नहीं है. किसान कल्याण विभाग के कृषि विकास अधिकारी डॉ सुशील कुमार का कहना है कि इस बार दलहन का रकबा तेजी से बढ़ रहा है. इससे फसल विविधीकरण को बढ़ावा मिलेगा. वही भूमि की सेहत भी बहुत अधिक सुधरेगी. अबकी बार सरसों का दाम ₹5050 प्रति क्विंटल किया है.
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