नई दिल्ली । दिवाली को रोशनी का पर्व भी कहा जाता है और लोग इस दिन अपने परिवार के साथ जमकर आतिशबाजी का लुत्फ उठाते हैं. हालांकि पटाखे जलाने से पर्यावरण प्रदुषण में वृद्धि होती है और इसके चलते कई राज्यों में दिवाली पर पटाखे जलाने को लेकर पाबंदियां भी लगाई जाती है.
लेकिन इस बार दिवाली पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि पटाखे जलाने पर किसी तरह की पाबंदी नहीं होगी. सुप्रीम कोर्ट की ओर से पटाखों को क्लासिफाई किया गया है और जानकारी दी गई है कि किस तरह के पटाखों पर बैन है.
पटाखों पर पूर्ण पाबंदी नहीं
शीर्ष अदालत की ओर से कहा गया है कि किसी भी ऑथोरिटी को हमारे निर्देशों के उल्लंघन की इजाजत नहीं दी जा सकती हैं और त्योहार की आड़ में प्रतिबंधित पटाखों के इस्तेमाल की इजाजत नहीं है. अदालत ने कहा कि पटाखे जलाने पर पूरी तरह से बैन नहीं किया गया है ,केवल बेरियम सॉल्ट वाले पटाखे जलाने पर रोक रहेगी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि त्योहार के नाम पर आप दूसरों की सेहत के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकते हैं.
इसके अलावा अदालत ने निर्देश दिए हैं कि पटाखों पर प्रतिबंध के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए सभी राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश सोशल मीडिया, टीवी या अन्य प्रचार के माध्यम का इस्तेमाल करें. साथ ही शीर्ष अदालत ने कहा कि पटाखों पर प्रतिबंध के उल्लंघन की स्थिति में मुख्य सचिव, पुलिस उपायुक्त,जिला पुलिस अधीक्षक, थाना इंचार्ज व्यक्तिगत रूप से जवाबदेह होंगे.
सेहत की कीमत पर उत्सव नहीं
बैंच ने साफ किया कि पटाखे जलाने पर पूरी तरह से रोक नहीं की गई है ,केवल उस तरह की आतिशबाजी पर प्रतिबंध लगाया गया है जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है और नागरिकों खासतौर पर बुजुर्गों तथा बच्चों की सेहत के लिए बहुत हानिकारक है. साथ ही कहा कि त्योहार के नाम पर किसी को दूसरों के स्वास्थ्य के अधिकार का हनन करने की अनुमति नहीं दी जा सकती,जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मिला हुआ है.
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