नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने महिलाओं की आय में वृद्धि करने के लिए विशेष कदम उठाया है. इसके तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं की आमदनी 1 लाख रुपए सालाना सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास किया जाएगा. महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूती प्रदान करने के लिए मंत्रालय द्वारा दो साल में स्वयं सहायता समूह से जुड़ी 2.5 करोड़ ग्रामीण महिलाओं को आजिविका सहायता मुहैया करवाएगी जाएगी.
केन्द्र ने राज्य सरकारों को जारी की सलाह
ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कहा गया है कि महिलाओं की एक लाख रुपए सालाना आय सुनिश्चित करने के लिए घरेलू स्तर पर आजिविका गतिविधियों में विविधता लाने पर फोकस किया जाएगा. इसके साथ ही देशभर में महिला स्वयं सहायता समूहों के अलग-2 मॉडलों के आधार पर प्रदेश सरकारों को सलाह जारी की गई है.
मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत 7.7 करोड़ महिलाओं को 70 लाख एसएचजी में शामिल किया गया है. एसएचजी को सालाना 80,000 करोड़ रुपये की शुरुआती पूंजी की सहायता दी जा रही है.
आय बढ़ाने के लिए इन बातों पर रहेगा जोर
महिलाओं की आय बढ़ाने के मुद्दे पर राज्य सरकारों, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और ट्रांसफोमेशन रूरल इंडिया फाउंडेशन के साथ 28 अक्टूबर 2021 को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया था. इसमें कृषि और इससे जुड़ी गतिविधियों से लेकर पशुधन, गैर-लकड़ी वन उत्पाद और घरेलू स्तर पर आजीविका गतिविधियों में विविधता लाने के महत्व पर जोर दिया गया ताकि महिलाओं को एक लाख रुपये की सालाना आय का लक्ष्य हासिल किया जा सके. इसे लागू करने के लिए एसएचजी, ग्राम संगठन और क्लस्टर स्तर पर संघ को मजबूत करने पर जोर दिया गया.
अच्छे बदलाव के लिए स्थायी आय ज़रुरी
स्वयं सहायता समूह की ओर से बैंक पूंजीकरण सहायता के जरिये कई साल से उधार ली गई रकम का उपयोग अब आजीविका के नए अवसर पैदा करने के लिए किया जा रहा हैं और इन कोशिशों के रिजल्ट भी पॉजिटिव रहें हैं. फिर भी महसूस किया गया कि महिला एसएचजी सदस्यों की स्थायी आजीविका और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने के लिए हर साल कम से कम एक लाख रुपये की आय सुनिश्चित करने के प्रयास करने की जरूरत है.
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