गेहूं की यें किस्में देंगी किसानों को डबल मुनाफा, जानिए कौन सी है यें किस्में और क्या है इनकी खासियत

करनाल । भारत में गेहूं को एक मुख्य खाद्यान्न फसल के रूप में जाना जाता है और मुख्य तौर पर उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में गेहूं की खेती की जाती है. फिलहाल किसान गेहूं की बिजाई की तैयारियों में जुटे हुए हैं. गेहूं की बिजाई के समय खेत में पर्याप्त नमी को उपयुक्त माना गया है ताकि फसल की पैदावार अच्छी हो सकें.

GEHU ANAJ

लेकिन बिजाई से पहले गेहूं की उन्नत किस्मों के बारे में और उनमें लगने वाले रोग व कीटों का विशेष ध्यान रखें ताकि फसल सुरक्षित रहे और बंपर पैदावार ली जा सकें. तो चलिए आज हम आपको कुछ ऐसी ही उन्नत किस्मों के बारे में बताते हैं जो आपको बंपर पैदावार तो देगी ही, साथ ही कीट-पतंगों का खतरा भी कम रहेगा.

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 DBW-187(करण वंदना)

गेहूं की इस किस्म को करनाल के गेहूं और जौ अनुसंधान केंद्र संस्थान में विकसित किया गया है. यह किस्म करीब 148 दिन में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म की बुआई से एक हेक्टेयर खेत में 61 से लेकर 80 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है जो आम फसल से 30 से 35% अधिक है.

इस किस्म की खासियत यह है कि इसमें पत्ती सड़न, पीला सड़न और झुलसा रोग होने का खतरा बहुत कम होता है. इसके साथ ही करनाल बंट और लूड स्मट से बचने की क्षमता भी होती है.

करण श्रिया

गेहूं की इस किस्म की बुआई का उपयुक्त समय 25 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच माना गया है. यह किस्म लगभग 125-130 दिन में पककर तैयार हो जाती है. गेहूं की इस किस्म में ब्लास्ट रोग के प्रति प्रतिरोधक क्षमता होती है. इस किस्म की औसत पैदावार प्रति हेक्टेयर 56 क्विंटल तक होती है.

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गेहूं की यह किस्म इसलिए भी खास है कि इसमें प्रोटीन की मात्रा सबसे ज्यादा पाई जाती है. यह किस्म पोषण के लिहाज से बहुत बेहतर मानी जाती है.

करण नरेंद्र

इस किस्म की बुआई से एक हेक्टेयर भूमि पर 61.3 से 82.1 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है. इस किस्म की खासियत यह है कि इसका तना काफी मजबूत होता है. यह किस्म जलभराव की परिस्थिति से निपटने के लिए बहुत खास है. यह किस्म लगभग 145 दिन में पककर तैयार हो जाती है.

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यह किस्म करण वंदना का ही दूसरा रूप है जो करीब 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस किस्म से एक हेक्टेयर भूमि पर औसतन 49-65 क्विंटल तक पैदावार ली जा सकती हैं. इसकी बुआई उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार के साथ पूर्वोत्तर क्षेत्र में ज्यादा होती है. इस किस्म में प्रोटीन की मात्रा लगभग 12% तक होती है.

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान साथी गेहूं की फसल अधिक लेना चाहते हैं तो वह उचित समय पर इन किस्मों की बुआई करें. उन्होंने बताया कि अगर समय रहते बुआई कर दी जाएं तो अच्छा खाद, पानी देने पर गेहूं के बीज का फुटाव अच्छा होता है. इससे गेहूं की बंपर पैदावार ली जा सकती हैं.

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