नई दिल्ली | आईपीओ में निवेश करने वाले लोगों के लिए बड़ी खबर है. सेबी (SEBI) ने निवेश करने संबंधित जरूरी सलाह दी है. सेबी ने एंकर निवेशकों को लंबे समय तक लॉक-इन करने का सुझाव दिया है.
प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) से जुड़े नियम सख्त होने की संभावना है. दरअसल, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) निवेशकों को सलाह देने का काम करता है. वर्तमान में सेबी ने नियमों को सख्त करने का प्रस्ताव रखा है. बाजार नियामक ने इस प्रस्ताव पर 30 नवंबर तक जनता की राय मांगी है.
जाने एंकर निवेशकों को क्या प्रस्ताव दीया गया है
एंकर निवेशकों को लंबे समय तक लॉक-इन करने की सलाह दी गई है. लॉक-इन की लिस्टिंग के बाद त्वरित निकासी को रोकने में सहायता मिल सकेंगी. इस प्रस्ताव के अनुसार आवंटित शेयरों की संख्या में से कम से कम 50 फीसदी शेयर लॉक-इन होना जरूरी होगा. वहीं, 30 दिनों से ऊपर 90 दिनों या उससे अधिक का लॉक-इन होना चाहिए.
इसके अतिरिक्त सेबी ने अधिग्रहण और अनिर्दिष्ट रणनीतिक निवेश के लिए अधिकतम 35% आय को सीमित करने का प्रस्ताव भी रखा है. यह प्रस्ताव ऐसे समय में आया है. जिस समय में अलग-अलग सेक्टर की सक्रिय कंपनियां आईपीओ के जरिए पैसे जुटा रही हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रस्तावित नियम में बदलाव के बाद स्टार्टअप्स और नए जमाने की टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए फंड जुटाना आसान नहीं रह जाएगा. आपको बता दें कि पेटीएम अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ लाया है.
रेग्युलेटर ने यह प्रस्ताव दिया है कि बाजार से पैसे जुटाने का लक्ष्य रखने वाली कंपनी को केवल एक उद्देश्य के रूप में ‘भविष्य में अधिग्रहण के लिए’ बताने की बजाय फंड उगाहने के बारे में अधिक स्पष्टता होनी जरूरी है. वास्तव में, रेग्युलेटर इनऑर्गेनिक ग्रोथ की फंडिंग के लिए कंपनियों द्वारा आईपीओ के माध्यम से जुटाई जा सकने वाली राशि को सीमित करना चाहता है. हालांकि, नियमों में कोई भी बदलाव तीन-चार महीनों में प्रभावी नहीं हो सकता है
स्टार्टअप नहीं होगा सरल, जाने कैसे
प्रस्तावित नियम में बदलाव से स्टार्टअप्स और नए जमाने की टेक्नोलॉजी कंपनियों के लिए फंड जुटाना का काम मुश्किल हो सकता है. रेग्युलेटर ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि कंपनियों को जीसीपी के लिए जुटाई गई रकम के उपयोग के बारे में विस्तृत, त्रैमासिक डिसक्लोज करना चाहिए.
सेबी ने कहा कि वर्तमान में कंपनियां जीसीपी के लिए जुटाई गई रकम का 25 फीसदी अलग रख सकती हैं, लेकिन उन पर उतनी सख्ती से नजर नहीं रखी जाती. इसके अतिरिक्त, उनकी शेयरधारिता आईपीओ के बाद छह महीने के लिए बंद होनी चाहिए.
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