क्रेशर व बजरी सहित निर्माण सामग्री की कीमतों में जबरदस्त उछाल, जानिए क्यों आई एकदम तेजी

तोशाम । हवा में प्रदुषण स्तर बढ़ने और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद क्रेशर उद्योग बंद होने से मकान व अन्य निर्माण कार्य करने वालों को तमाम मुश्किलें झेलनी पड़ रही है. बता दें कि क्रेशर उद्योग बंद होने के चलते क्रेशर,रोड़ी व अन्य निर्माण सामग्री की कीमतों में 200-250 रुपए प्रति टन के हिसाब से इजाफा हुआ है. साढ़े 550 रुपए प्रति टन के हिसाब से मिलने वाला क्रेशर अब 750-800 रुपए प्रति टन के हिसाब से मिलने लगा है.

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हालात फिलहाल ऐसे हैं कि कुछ क्रेशर उद्योगों में नाममात्र का ही स्टॉक बचा हुआ है. अगर यही हालात रहे तो भवन निर्माण कार्यों व सड़क आदि के निर्माणों को बीच में रोकने की भी नौबत आ सकती है. निर्माण सामग्री की कमी का सीधा असर कीमतों पर पड़ेगा और आमजन को महंगाई से जूझना पड़ेगा.

गत दिनों में प्रदुषण स्तर बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट ने क्रेशर, ईट-भट्ठे उद्योग व अन्य तरह के धुआं उगलने वाले उद्योगों को बंद करने के आदेश जारी किए थे जिसके चलते क्रेशर उद्योग भी बंद करना पड़ा था. हालांकि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) थोड़ा सा नियंत्रण में है लेकिन मकान निर्माण सामग्री की कीमत आमजन की पकड़ से बाहर होती जा रही है. क्रेशर उद्योग पर पाबंदियां लागू होने से पहले खनन नगरी तोशाम में क्रेशर की कीमत 550 रुपए प्रति टन थी, लेकिन जैसे ही क्रेशर उद्योगों की बत्ती गुल हुई तो कीमत आसमान पर पहुंच गई.

अगर कुछ दिनों तक स्थिति ज्यों की त्यों बनी रही तो लोगों का मकान बनाने का सपना सपना ही बनकर रह जाएगा. एक क्रेशर उद्योग मालिक ने बताया कि अगले हफ्ते सर्वोच्च न्यायालय में तारीख है , अब सभी की निगाहें न्यायालय के फैसले पर टिकी हुई है. सर्वोच्च न्यायालय क्रेशर उद्योग को शुरू करने की अनुमति देता है या नहीं. अगर अनुमति नहीं मिलती है तो क्रेशर की कीमतों में और अधिक बढ़ोतरी हो सकती है.

क्रेशरों के जनरेटरों को किया सील

सुप्रीम कोर्ट द्वारा आदेश जारी होते ही विद्युत निगम ने सभी क्रेशरों के बिजली के कनेक्शन काट दिए और साथ ही वहां लगें जनरेटरों को सील कर दिया, ताकि किसी भी सूरत में कोई भी व्यक्ति क्रेशर उद्योग न चला पाएं. इसके अलावा बिजली के कनेक्शनों की जांच के लिए जिला प्रशासन द्वारा एक टीम गठित की गई है जो खनन नगरी का लगातार निरीक्षण कर रही है.

क्या कहते हैं अधिकारी

विद्युत निगम के एसडीओ निरंजन कुमार ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत सभी क्रेशरों की बिजली सप्लाई काट दी गई है और साथ ही वहां रखें जनरेटरों को भी सील किया गया है. जब तक सुप्रीम कोर्ट द्वारा फिर से क्रेशर उद्योग को चालू करने की अनुमति नहीं मिलती है,तब तक किसी भी क्रेशर उद्योग पर बिजली सप्लाई चालू नहीं की जाएगी.

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