संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में लिया जाएगा बड़ा फैसला, जानें कब होगी बॉर्डरों से किसानों की घर वापसी

सोनीपत । तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन की अब अगले 2-3 दिन में खत्म होने की प्रबल संभावना जताई जा रही है. हालांकि जिस दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इन कृषि कानूनों को वापिस लेने की घोषणा की थी,उसी दिन से यें लगने लगा था कि अब आंदोलन ज्यादा दिनों तक नहीं चलने वाला है. अब तो सरकार ने संसद के दोनों सदनों में इन कृषि कानूनों को वापिस लिएं जाने की प्रक्रिया भी पूरी कर दी है और अब महज आखिरी औपचारिकता ही इन कानूनों को निरस्त करने की बची हैं तो आंदोलनकारी किसानों द्वारा भी अब घर वापसी की तैयारी के संकेत मिलने लगे हैं.

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शुरू में नहीं थी एमएसपी की मांग

हालांकि अभी आंदोलन खत्म करने को लेकर हरियाणा और पंजाब के किसान नेता एकमत नजर नहीं आ रहें हैं. पंजाब के किसानों की शुरु से ही मांग थी कि तीनों कृषि कानूनों को रद्द किया जाएं जबकि हरियाणा के किसान इन कानूनों में बदलाव करने की मांग कर रहे थे, लेकिन दूसरी तरफ उनकी मांग MSP पर गारंटी कानून बनाने की भी है. गाजीपुर बार्डर पर किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता राकेश टिकैत भी बार-बार यहीं बात दोहरा रहे हैं कि एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने पर ही आंदोलन खत्म किया जाएगा.

वहीं दूसरी ओर हरियाणा में किसान आंदोलन का नेतृत्व कर रहे गुरनाम सिंह चढूनी भी कह रहे हैं कि जब तक एमएसपी गारंटी कानून नहीं बन जाता और किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं हो जातें, किसान आंदोलन जारी रहेगा. हालांकि पंजाब के किसानों ने जिस दिन दिल्ली के लिए कूच किया था तब उनकी एमएसपी की मांग नहीं थी और इस आंदोलन में पंजाब के किसानों की भागीदारी भी ज्यादा रहीं हैं. इसलिए अब कृषि कानूनों के निरस्त होने का बिल पास होते ही पंजाब के किसान घर वापसी की तैयारियों में जुट गए हैं तो जाहिर तौर पर आंदोलन खत्म ही हो जाएगा.

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SKM की बैठक में घर वापसी का फैसला

4 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की जो मीटिंग बुलाई गई थी, वह भी अब एक दिसंबर को रखी गई है. ऐसे में किसान नेता भी चाहते हैं कि अब आंदोलन को ज्यादा लंबा न खींचा जाएं और जल्द से जल्द सभी किसान घर वापसी करें. सोमवार को पंजाब की जत्थेबंदियों की बैठक हुई जिसके बाद यहीं संकेत मिल रहे हैं कि अब आंदोलन को जल्द खत्म करने की घोषणा हों सकती है.

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एक दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद टिकरी बार्डर से आंदोलनकारी किसानों की घर वापसी शुरू हो सकती है और इसके लिए यहां तैयारी भी नजर आ रही है. अब देखना दिलचस्प होगा कि दिल्ली की सीमाओं से किसान घरों को लौटते हैं या फिर अभी जो अंदरखाते हरियाणा पंजाब के बीच असहमति बनीं हुई है,उसका असर धरातल पर भी देखने को मिलेगा.

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